वर्तमान समय में कामुकता अत्यधिक बडती जा रही हे, आज के युवा संयम का पालन नहीं कर रहें हें जिसके कारण आज गुप्त रोग अत्यधिक बड़ता जा रहा हें। काम वासना के विकार हमारें शरीर को हिलाकर रख देते हें , हमें शक्तिहीन व निस्तेज बना देतें हें , शरीर में जहर घोल देतें हें । काम वासना से बचकर हमें ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए । कामवासना को उत्तेजित काने वाले खान-पान , द्रश्य-श्रव्य का त्याग ब्रम्हचर्य कहलाता हें।
► स्वप्नदोष के निवारण की जानकारियाँ
1। प्रतिदिन प्रात: काल उठे। उठकर कम से कम दो गिलास पानी अवश्य पियें, ताकि मल त्याग में परेशानी न आये। 60% बीमारियाँ कब्ज के कारण होती हें अत: कब्ज नहीं रहना चाहियें।
2। प्रात: काल लगभग 12 माला गायत्री मंत्र की करें। जप करते समय उगते सूर्य का ध्यान करना चाहिए। गायत्री मन्त्र के जप से सभी रोगों का निवारण सहज ही हो जाता हें।
3। जप करने के बाद ब्रम्ह्चर्यासन लगाना चाहिए।
► स्वप्नदोष निवारण के लिए योग
वज्रासन में बैठकर पंजो को हाथों की सहायता से बाहर की और मोड़िये । एडियाँ अन्दर की और दोनों नितम्बो के पास लगी हुई ,पंजे बाहर की और हों।दोनों घुटने मिले हुए हो , हाथों को घुटनों पर रखिये । कमर सीधी तथा श्वास-प्रश्वास की गति सामान्य रहें। यथाशक्ति ५ मिनट से लेकर २० मिनट तक करें। यह आसन भोजन करने के बाद तथा रात्री को सोने से पहले करने से स्वप्नदोष रोग में 100% आराम मिलता हे तथा पेशाब के साथ वीर्य आना भी रुक जाता है ।