जो लोग ब्रह्मचर्य को सिर्फ पुराना और किताबी मानकर अपने मन मुखी जीवन का आनंद उठाने की ललक मे रहते हैं
और अपने को वैज्ञानिक समझ वालों की श्रेणी मे समझते हैं, वे ब्रह्मचर्य की ऊर्जा के आनंद से रीते रह जाते हैं.
हमारे भीतर एक जीवनी ऊर्जा शक्ति होती है, वह जब बढती है तो हमारे निचले केंद्रों पर दबाब पैदा करती है,
तब ही काम ज़ोर मारता है वह शक्ति वीर्य को बाहर धकेलना चाहती है.
अगर उस समय आप बच गए तो वह ऊर्जा बढती जाती है.
उस ऊर्जा को आप महसूस कर पाओगे .आपका अंग अंग खिला रहता है.हर कार्य मे उत्साह भरा रहता है.
एक नया आत्म विश्वास आप महसूस कर पाओगे
जो लोग उस ऊर्जा को एकत्रित ही नहीं होने देते उनको उस ऊर्जा का कोई अनुभव ही नहीं बन पाता.
रति क्रिया के बाद का अनुभव इसीलिये निस्तेज बना देता है जो ऊर्जा के विसर्जन की खबर देता है
जिन लोगों ने इस ऊर्जा के महत्व को समझा वे महान हो गए