यह दो प्रकार की होती है-
1. मोहिनी भीष्मक मणि।
2. कामदेव भीष्मक मणि।
मोहिनी भीष्मक मणि- इसे अमृत मणि भी कहते हैं। यह सरसों पुष्प या तोरी पुष्प या गुलदाऊदी पुष्प अथवा केले के अति नवीन पत्र के समान पीले रंग की होती है तथा हीरे की तरह चमकती है।
कामदेव भीष्मक मणि- यह कृष्ण वर्ण की, शहद के समान वर्ण का अथवा दही व फिटकरी के मिश्रण से बने रंग के समान होती है तथा यह स्निग्ध स्वच्छ तथा सुंदर रंग व कांति वाली होती है।
प्रयोग- सूर्य के आद्रा नक्षण में होने तथा मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु अथवा कुम्भ राशि पर चन्द्रमा के होने से मोहिनी भीष्मक मणि को रुई में लपेट कर पूर्व दिशा में पानी में डुबाकर रख देते हैं। तत्पश्चात वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक अथवा मकर राशि पर चन्द्रमा के आने पर मणि को पश्चिम दिशा में रखकर विधिपूर्वक पूजन करने से अच्छी वर्षा होती है।
प्रयोग- मेष राशि पर यह सूर्य के होने से रोहिणी नक्षण अथवा पूर्णमासी के दिन व मंगलवार के दिन तेलमणि को जिस खेत में 4-5 हाथ गहरे गड्ढे में खोदकर गाड़ दिया जाए व मिट्टी से ढँककर सींचा जाए तो सामान्य से बहुत अधिक अन्न उत्पन्न होता है।