► परिचय
कहा जाता है मौत के बाद भी जीवन होता है। मरने के बाद भी हर इंसान को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। लेकिन यह सिर्फ मान्यता है या सच्चाई ये सच तो नहीं जाना जा सकता। मगर हिन्दू धर्म का ग्रंथ गरुड़ पुराण में मौत के बाद के जीवन के बारे में स्पष्ट वर्णन पढऩे को मिलता है।
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है आात्मा जब एक शरीर छोड़ती है, तो फिर कहीं ओर वह दूसरा शरीर भी धारण करती है। दरअसल गरुड़पुराण के अनुसार मरने के बाद आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर तक की यात्रा में किन-किन घटनाओं से गुजरना पड़ता है
► आत्मा के जन्म
धर्मग्रंथों के अनुसार आत्मा की आठ तरह की दशा होती है, जिसे गति भी कहते हैं। इसे मूलत: दो भागों में बांटा जाता है पहला अगति और दूसरा गति। जिस प्राणी की गति हो जाती है उसे मोक्ष मिलता है जबकि जिन प्राणियों की अगति होती है उन्हें जन्म मिलता है।
► अगति के चार प्रकार हैं
क्षिणोदर्क
अगति में जीव पुन: पुण्यात्मा के रूप में मृत्यु लोक में आता है और संतों सा जीवन जीता है।
भूमोदर्क- भूमोदर्क में वह सुखी और ऐश्वर्य से पूर्ण जीवन मिलता है।
तृतीय अगति- में नीच या पशु का जीवन मिलता है।
चतुर्थ गति में वह कीट, कीड़ों जैसा जीवन पाता है।
► कैसे जाती है आत्मा यमलोक तक
यमलोक तक ले जाने के लिए भी अलग-अलग कर्म करने वाली आत्माओं के लिए अलग-अलग मार्ग है। इसके मुख्यरूप से तीन मार्ग माने गए हैं। इस मार्ग से मृत्यु के १३ दिन के बाद आत्मा को यमलोक तक ले जाया जाता है।
► ये तीन रास्ते इस प्रकार हैं
अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए है।
धूममार्ग-धूममार्ग पितृलोक की यात्रा के लिए है और
उत्पत्ति-विनाश मार्ग -उत्पति व विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है।
► कितने तरह के होते हैं नर्क
मुख्य नरक 36 हैं। उनमें भी अवीचि, कुम्भीपाक और महारौरव ये तीन मुख्यतम हैं। ये तीनों नरक समस्त नरकों या नरक लोक के अध: मध्य और ऊध्र्व भाग में स्थित हैं। 36 नरकों में से एक-एक के चार-चार उप नरक हैं।