साढेसाती की अवधि मुख्य रुप से तीन भावों से संबन्धित मानी जाती है. ये तीनों भाव चन्द्र से द्वादश, चन्द्र स्थित भाव व द्वितीय भाव होता है. इन भावों में जो भी राशि हों, उस राशि के लिये शनि की साढेसाती चल रही होती है. शनि की साढेसाती की अवधि को कल्याणी दशा भी कहते है. शनि की साढेसाती में क्लेश, मन का स्थिर न रहना, आर्थिक स्थिति प्रभावित होना, अपयश, आलस्य, कार्य में हानि, झूठे आरोप, कुटुम्ब जनों से हानि, मित्रों से हानि इत्यादि के योग बनते है.