होरा मुहूर्त के अनुसार कार्य आरम्भ करके प्रत्येक मनुष्य अशुभ समय में से होरा के अनुसार अपना कार्य सिद्ध कर सकता है । प्रत्येक होरा एक घन्टे का होता है । जिस दिन जो वार होता है, उस वार के आरम्भ (अर्थात् सूर्योदय के समय) से एक घंटा तक उसी वार का होरा होता है । इसके बाद एक घंटे का दूसरा होरा उस वार से छठे वार का होता है । इस क्रम से 24 घंटे में 24 होरा बीतने पर अगले वार के सूर्योदय के समय उसी वार का होरा आ जाता है । जिस कार्य की सिद्धि के लिये जो होरा नियत है उसके अनुसार ही उस होरा में कार्य करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी । ऋषियों ने होरा को “क्षणवार” कहा है । वार से भी क्षण वार में प्रधानता मानी गयी है । इसीलिये यदि वार और ‘क्षणवार’ दोनों अनुकूल हों, तभी किसी कार्य को करना चाहिए । आवश्यकता में, यदि वार अनुकूल नहीं हो तो ‘क्षणवार’ अर्थात् होरा की अनुकूलता के अनुसार कार्य करना चाहिए ।
