सप्तम भाव में शनि और सूर्य की युति हो, पंचमेश अथवा सप्तमेश का शनि के साथ राशि परिवर्तन लग्न, पंचम या सप्तम भाव में हो तो वैवाहिक जीवन में सफलता नहीं मिलती है। किसी एक की कुंडली के लग्न, पंचम या सप्तम भाव में शनि, सूर्य या चंद्रमा के साथ युति करें या इनसे दृष्ट हो अथवा नवमांश में दोनों सप्तमस्थ हों तो जीवन में कटुता आती है। सप्तमेश, शनि या राहु के नक्षत्र में हो और शनि से दृष्ट हो, शनि की दृष्टि चंद्र पर हो तो दोनों में तनाव के कारण गृहस्थ जीवन में विघ्न आता है और व्यापार भी प्रभावित होता है।
इनके अतिरिक्त यदि पंचमेश-सप्तमेश की युति अष्टम भाव में हो या अष्टमेश से राशि परिवर्तन होने पर दाम्पत्य जीवन में तनाव आता है। दूसरे के ग्रह भी इन्हीं परिस्थितियों में हों तो परिहार हो जाता है। कहा जा सकता है कि शादी से पूर्व दोनों की कुंडली मिलाकर हर आने वाली कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।