कुंडली में कालसर्प योग के बारें में भी ज्योतिष बेहद ध्यान देते हैं। कालसर्प तब होता है जब राहु-केतु के मध्य सातों ग्रह हो। सरल शब्दों में जब जातक की कुंडली में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि राहु और केतु के बीच आ जाए तब ‘कालसर्प योग’ निर्मित होता है।
काल सर्प दोष के लक्षण : इस दोष की वजह से संतान उत्पत्ति में बाधा, निराशा, अवसाद, असफलता आदि का सामना करना पड़ता है।
काल सर्प योग से बचने के उपाय: काल सर्प योग से निवारण हेतु सबसे बेहतर उपाय नागों की पूजा और नाग पंचमी के दिन दान और सांप को दूध पिलाना बताया गया है।
* साथ ही चन्द्र ग्रहण के दिन बहते जल में चांदी के सर्पों को बहाने से भी काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
* इसके अलावा भगवान शिव को सांपो का देवता माना जाता है इसलिए जितना हो सके “ओम नम: शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का सुबह-शाम का जाप करना चाहिए और शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।