माह में एक बार आद्रा अथवा स्वाती नक्षत्र में शिव का रुद्राभिषेक अवश्य किया करें। शिवलिंग को चंदन युक्त धूप, तेल, सुगंध अथवा इत्र अर्पित किया करें।
नारियल अपने ऊपर से 7 बार उतारकर जल प्रवाह करें
यदि आपका जन्म राहु के नक्षत्रों आद्रा, स्वाती अथवा शतभिषा में से किसी में हुआ हो तो जहां तक संभव हो उनमें जटा वाला नारियल अपने ऊपर से 7 बार उतारकर जल प्रवाह कर दिया करें। मन में यह भावना जगाया करें कि दोष का जीवन से पलायन हो रहा है।
दिन के समय राहु काल में नित्य राहु की जननी मां सिंहिका का ध्यान करते हुए एक माला ‘नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय’ का जप किया करें।
राहु से संबंधित वस्तुओं का दान किया करें
यथासामर्थ्य बुध, शुक्र अथवा शनिवार को राहु से संबंधित वस्तुओं जैसे सीसा, सरसों का तेल, तिल, कंबल, मछली, धारदार हथियार, स्वर्ण, नीलवर्ण वस्त्र, गोमेद, सूप, काले रंग के पुष्प, अभ्रक, दक्षिणा आदि का सुपात्र को दान किया करें।
राहु का बीज मंत्र ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’ शुद्ध उच्चारण से जपना राहु जनित दोषों को दूर करता है।
चंदन की लकड़ी से बनी 108 मनकों की माला यदि सुलभ हो जाए तो उससे मंत्र जप कर राहु दोष से मुक्ति का प्रायश्चित शिव मंदिर में कर लिया करें।
राहु काल में मूली का दान करें अथवा जल प्रवाह कर दिया करें।
अपने भार के बराबर किसी शनिवार को कच्चा कोयला मंदिर अथवा किसी निःस्वार्थ भाव से चल रहे भंडारे में भोजन बनाने के प्रयोजन से दान कर दिया करें।
अपनी ससुराल से बनाए गए मधुर संबंध राहु दोष को क्षीण करते हैं।
जेब में चांदी की ठोस गोलियां रखा करें।
जौ को कच्चे दूध में रख कर जल प्रवाह कर दिया करें।
धूप और अगरबत्ती के स्थान पर अपनी पूजा अथवा शिव मंदिर में चंदन, इत्र और कपूर का प्रयोग किया करें।
नाग पंचमी के दिन भगवान शिव का सामर्थ्य और श्रद्धा भाव से अभिषेक किया करें।