कान की लौ पर तिलों के प्रभाव
संवेदनशील, न इन्हें वर्तमान की चिंता होती है न भविष्य की अर्थात् यथास्थितिवादी | परिश्रमी नहीं होते भाग्य का रोना रोते रहते है । आमतौर पर जिंदगी में कामयाब नहीं होते ।
कान की लौ पर तिलों के प्रभाव
संवेदनशील, न इन्हें वर्तमान की चिंता होती है न भविष्य की अर्थात् यथास्थितिवादी | परिश्रमी नहीं होते भाग्य का रोना रोते रहते है । आमतौर पर जिंदगी में कामयाब नहीं होते ।