परिचय :
जब अण्डकोष में पानी जमा होने लगता है तो अण्डकोष धीरे-धीरे आकार में भी बढ़ने लगता है। ऊपर का चमड़ा भी कड़ा हो जाता है। कभी-कभी एक तरफ का मांस भी बढ़ जाता है। यह अण्डकोष के एक सिरे का बढ़ना कहलाता है। इस रोग के शुरूआत में ध्यान न देने से यह रोग और बढ़ जाता है।
भोजन तथा परहेज :
इस रोग में केवल सूखा भोजन करना चाहिए। दही, पके केले, मिठाई और ठंड़ी चीजों को खाने से बचना चाहिए।
विभिन्न औषधियों से उपचार:
किशमिश
किशमिश को रोजाना खाने से अण्डकोष का बढ़ा हुआ हिस्सा ठीक होता है।
लकजन
लकजन को पीसकर अण्डकोष के बढ़े वाले जगह पर बांधने से अण्डकोष में लाभ होता है।
कंटकरंज
कंटकरंज के बीजों का चूर्ण एरण्ड के पत्ते पर डालकर अण्डकोष के बढ़े हिस्से और अण्डकोष की सूजन वाली जगह बांधने, और लगभग आधा से 1 ग्राम कंटकरंज के बीजों की मज्जा सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ सेवन करने से अधिक लाभ होता है।
आम
आम के पेड़ पर के बांझी (बान्दा) को गाय के मूत्र में पीसकर अण्डकोष के बढ़े हिस्से पर लेप करने और सेंकने से लाभ होता है।
आम के पत्तों को नमक के साथ पीसकर लेप करें। इससे अण्डकोष का वृद्धि और पानी भरना बन्द हो जाता है।