garbhaavastha kee pahachaan

गर्भावस्था की पहचान – घरेलू उपचार – garbhaavastha kee pahachaan – gharelu upchar

परिचय:

गर्भधारण हो जाने के बाद औरतों में कुछ खास लक्षण प्रकट होते हैं जिसके आधार पर आसानी से गर्भावस्था की पहचान हो जाती है।

लक्षण:

  • सर्वप्रथम यह लक्षण है कि नियमित रूप से आने वाला ऋतुस्राव बंद हो जाता है। यद्यपि यह पूर्ण भरोसे का लक्षण नहीं है क्योंकि गर्भाशय और डिम्बकोष सम्बन्धी अन्य दोषों के कारण भी कभी-कभी मासिक-धर्म का आना बंद हो जाता है।
  • मिचली (जी का मिचलाना) और वमन (उल्टी) के लक्षण प्रकट हो, साथ ही ऋतुस्राव भी बंद हो तो यह लक्षण गर्भ के स्थापित होने का लक्षण माना जा सकता है क्योंकि प्रथम, दूसरे और तीसरे महीने में मिचली आना एक प्रमुख लक्षण माना जाता है।
  • गर्भस्थापित होने पर मानसिक रूप से कुछ परिवर्तन प्रकट होते हैं। उत्तेजित स्वभाव की महिला थोड़ा मृदु (कोमल) स्वभाव की हो जाती है और मृदु (कोमल) स्वभाव की महिला थोड़ा उत्तेजित स्वभाव की हो जाती है।
  • चेहरे पर दिव्यपन और स्तन की घुण्डी तथा उसके चारों ओर त्वचा का रंग अपेक्षाकृत काला होने लगता है।
  • गर्भ के स्थापित होने पर योनि और भगोष्ठ के रंग में अपेक्षाकृत गाढ़ापन प्रतीत होने लगता है।
  • गर्भ के स्थापित होने पर पेट धीरे-धीरे बढ़ने लगता है जोकि चौथे महीने से स्पष्ट प्रतीत होने लगता है।
  • गर्भ के स्थापित होने पर स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती है।
  • गर्भावस्था के पांचवे महीने से गर्भाशय में भू्रण का हिलना डुलना जच्चा को महसूस होने लगता है। इस महीने या इसके बाद से स्टेथोस्कोप के सहारे भू्रण के दृष्टिपिण्ड की गति की धड़कन महसूस की जा सकती है जोकि प्राय: 130 से 150 प्रति मिनट तक हो जाती है।
  • प्रसव से कुछ समय पहले ही स्तनों में दूध आना भी एक स्पष्ट लक्षण होता है।
  • गर्भावस्था में पेशाब की मात्रा भी अपेक्षाकृत बढ़ जाती है। आपेक्षिक गुरुत्व भी बढ़ जाता है।
  • गर्भधारण होने पर खून की मात्रा और रक्त के सफेद कणों की मात्रा बढ़ जाती है।
  • गर्भधारण होने पर स्तनों की घुण्डी अपेक्षाकृत काली हो जाती है, चेहरे में कुछ रौनक सी प्रतीत होने लगती है। स्तन और तालपेट की त्वचा कुछ फटी-फटी सी लगने लगती है जिसका कारण गर्भ के चलते गर्भ का प्रसारण होता है। भगोष्ठ काले हो जाते हैं तथा नाभि भी ऊपर की ओर चढ़ी होती है।
  • गर्भावस्था में जरायु (गर्भाशय) के आकार में वृद्धि होने से पेट भी बढ़ने लगता है। परन्तु यदि गर्भ के अन्य लक्षण प्रतीत न हो रहे हो तो मिथ्या गर्भ, फुंसी आदि के प्रति सावधान रहना चाहिए।
  • स्तनों का आकार बढ़ जाता है, शिराएं प्रतीत सी होने लगती हैं, स्तन के घुण्डी के चारों ओर काले रंग के दाग सा होना, दबाने से दूध जैसा पदार्थ निकल आना गर्भ के पूरक होने के लक्षण होते हैं।

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