rahu ke nakshatra - rahu ke prakop

राहु के नक्षत्र – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – rahu ke nakshatra – rahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु के नक्षत्र आर्द्रा स्वाति और शतभिषा है,इन नक्षत्रों में सूर्य और चन्द्र के आने पर या जन्म राशि में ग्रह के होने पर राहु का असर शामिल हो जाता है।

एक और धारणा

हमारे विचार से राहु का वर्ण नीलमेघ के समान है,यह सूर्य से १९००० योजन से नीचे की ओर स्थित है,तथा सूर्य के चारों ओर नक्षत्र की भांति घूमता रहता है। शरीर में इसे पिट और पिण्डलियों में स्थान मिला है,जब जातक के विपरीत कर्म बन जाते है,तो उसे शुद्ध करने के लिये अनिद्रा पेट के रोग मस्तिष्क के रोग पागलपन आदि भयंकर रोग देता है,जिस प्रकार अपने निन्दनीय कर्मों से दूसरों को पीडा पहुंचाई थी उसी प्रकार भयंकर कष्ट देता है,और पागल तक बना देता है,यदि जातक के कर्म शुभ हों तो ऐसे कर्मों के भुगतान कराने के लिये अतुलित धन संपत्ति देता है,इसलिये इन कर्मों के भुगतान स्वरूप उपजी विपत्ति से बचने के लिये जातक को राहु की शरण में जाना चाहिये,तथा पूजा पाठ जप दान आदि से प्रसन्न करना चाहिये। गोमेद इसकी मणि है,तथा पूर्णिमा इसका दिन है। अभ्रक इसकी धातु है।

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