कुंडली के सातवे घर में राहू, पहले घर में केतु और बाकि गृह इन दोनों के मध्य आ जाने से तक्षक कालसर्प दोष का निर्माण होता है ! सबसे पहले तो तक्षक काल सर्प का बुरा प्रभाव उसकी सेहत पर पड़ता है ! जातक के शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बहुत कम होती है और इसलिए वह बार-बार बीमार पड़ता रहता है ! दूसरा बुरा प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है, या तो जातक के विवाह में विलम्ब होता है और यदि हो भी जाये तो विवाह के कुछ सालों के पश्चात् पति पत्नी में इतनी दूरियाँ आ जाती है की एक घर में रहने के पश्चात् वे दोनों अजनबियों जैसा जीवन व्यतीत करते है! जातक को अपने व्यवसाय में सहकर्मियों द्वारा धोखा मिलता है और को भरी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है!
इस दोष में विवाह स्थान में बैठा राहु वैवाहिक जीवन के सुखों को कम करता है। जिस व्यक्तियों की कुण्डली में यह दोष बन रहा है उन्हें सबसे पहले अपने दाम्पत्य जीवन की खुशियों पर ध्यान देना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को लेकर जीवनसाथी से विवाद नहीं करना चाहिए। अगर किसी वजह से आपस में तनाव बढ़ जाए तो मुद्दों को बात-चीत से सुलझाने की कोशिश करें न कि एक दूसरे से रूठकर या झगड़कर मुद्दे को और गंभीर बनालें। इन बातों का ध्यान रखेंगे तो तक्षक कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव को कुछ कम करने में कामयाब हो सकते हैं।
जन्मपत्री में यह दोष होने पर साझेदारी के कार्य में व्यक्ति को नुकसान होने की आशंका रहती है। इस स्थिति से बचने हेतु व्यक्ति को स्वतंत्र व्यवसाय करना चाहिए। यदि साझेदारी में व्यवसाय करना ही पड़े तो साझेदारों पर विश्वास करके बैठना नहीं चाहिए बल्कि सभी व्यवसायिक मुद्दों पर अपनी दृष्टि रखनी चाहिए अन्यथा साझेदार धोखा दे सकते हैं। मित्र भी विश्वासघात कर सकते हैं इसलिए, आँख बंद करके इन पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
तक्षक कालसर्प से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में छोटी-मोटी उलझनें लगी रहती हैं जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है। स्वास्थ्य भी व्यक्ति का ठीक नहीं रहता है, गुप्त रोग होने की भी आशंका रहती है।
तक्षक कालसर्प दोष के कष्टकारी प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्ति चाहे तो तक्षक कालसर्प दोष शांति उपाय करवा सकता है। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करके उन्हें धान का लावा चढ़ाना चाहिए। इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। तक्षक कालसर्प दोष वाले व्यक्ति के लिए नागपंचमी का इसलिए भी महत्व है कि, तक्षक नाग ने नाग जाति की रक्षा के लिए आस्तिक मुनि तथा जनमेय से कहा था कि, नागपंचमी के दिन जो भी व्यक्ति आस्तिक मुनि एवं जनमेय का जयकार करेगा उसके घर से सर्प की बाधा दूर हो जाएगी।
तक्षक कालसर्प दोष की शांति के लिए घर में नाग देवता की मूर्ति स्थापित करके नियमित धूप, दीप सहित उनकी पूजा करना भी लाभप्रद होता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति यदि नियमित महामृत्युंजय मंत्र का जप करे तो मन से भय दूर होता है तथ कालसर्प दोष की बाधा से मुक्ति मिलती है।