दुर्गासप्तशती का एक मंत्र है। “पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्ववाम।” इस मंत्र का नियमित श्रद्घापूर्वक जप करने से सुंदर पत्नी मिलती है जो अपने सद्गुणों एवं व्यवहार से परिवार का सम्मान बढ़ाती है।
दुर्गासप्तशती का एक मंत्र है। “पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्ववाम।” इस मंत्र का नियमित श्रद्घापूर्वक जप करने से सुंदर पत्नी मिलती है जो अपने सद्गुणों एवं व्यवहार से परिवार का सम्मान बढ़ाती है।