राहु द्वारा निर्मित शुभ योगों में लग्न कारक योग का नाम भी प्रमुख है। लग्न कारक योग मेष, वृष एवं कर्क लग्न वालों की कुण्डली में तब बनता है जबकि राहु द्वितीय, नवम अथवा दशम भाव में नहीं होता है। जिस व्यक्ति की कुण्डली में लग्न कारक योग उपस्थित होता है उसे राहु की अशुभता का सामना नहीं करना होता है। राहु इनके लिए शुभ कारक होता है जिससे दुर्घटना की संभावना कम रहती है। स्वास्थ्य उत्तम रहता है। आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है एवं सुखी जीवन जीते हैं।
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