हमारी प्राच्य विद्याओं के बारे में जितनी अफवाहें, भ्रांतियां और रूढ़ियाँ प्रचलित हैं उतनी शायद दुनिया की किसी अन्य विद्या के प्रति नहीं है. इन भ्रांतियों का निराकरण करके ही प्राच्य विद्याओं के वास्तविक स्वरूप को जाना जा सकता है. इंद्रजाल के बारे में भी ढेरों दन्त कथाएं और भ्रांतियां लोगों में व्याप्त हैं. इन भ्रांतियों को जानने के लिए ग्रह शक्ति द्वारा तंत्र-मंत्र प्रेमियों एवं तंत्र जगत से जुड़े व्यक्तियों पर किये गए सर्वेक्षण से प्राप्त हुआ सारांश नीचे दिया जा रहा है.
जो व्यक्ति इंद्रजाल को पढ़ लेते हैं उस व्यक्ति के मन में लोभ-लालच उत्पन्न हो जाता है या वह व्यक्ति चरित्रहीन बन जाता है अर्थात वह व्यक्ति कुमार्ग पर अग्रसर हो जाता है.
जिस घर में असली इंद्रजाल रखा होता है वहां पर किसी आत्मा का प्रभाव जल्दी हो सकता है.
इन्द्रजाल में लिखे मन्त्रों से जल फूंककर किसी को पिलाया जाये तो वह विक्षिप्त हो जाता है.
इन्द्रजाल को लाल वस्त्र में लपेटकर ही घर में रखना चाहिए. अन्यथा उस घर में रहने वाले व्यक्ति के जीवन में बड़े परिवर्तन आते हैं.
इन्द्रजाल में दिए गए प्रयोग करने के लिए किसी भी मुहूर्त की जरुरत नहीं होती है.
जो व्यक्ति किसी आत्मा के प्रभाव से ग्रस्त हो उन्हें इन्द्रजाल नहीं पढ़ना चाहिए. अन्यथा आत्मा कुपित होकर परेशान करती है.