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अपना ग्रह दोष स्वयं पहचाने Grah ko majboot karne ke upay

अपना ग्रह दोष स्वयं पहचाने : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश विभाजन के भीतर ग्रहों का प्रभाव विशेषता को प्रभावित करता है । नागरिकों, जानवरों, पक्षियों, वनस्पति, और प्रत्येक जीवित निर्जीव ग्रहों का एक ईमानदार और बुरा प्रभाव के अधिकारी को देखा जाता है ।

Lal Kitab in Hindi
अपना ग्रह दोष स्वयं पहचाने
अपना ग्रह दोष स्वयं पहचाने

कुंडली के भीतर मुद्रित ग्रह और इसलिए उनके क्रूस से बनने वाले शुभ और अशुभ योग और ग्रहों और मार्गी स्थिति से नागरिकों के जीवन को प्रभावित करते हुए देखा जाता है । कुंडली के शुभ ग्रह जातक के लिए अनुकूल परिस्थितियों में जातक को उत्कृष्ट समाचार और अशुभ समाचार राशि के अशुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की प्रतिकूल परिस्थितियों में एक बार ले जाते हैं। इसलिए ग्रहों के बुरे प्रभाव से नागरिकों की रक्षा के लिए हमारे दिव्य दर्शन ऋषि-मुनियों ने ज्योतिष में कई ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से मानव कल्याण के निशान बताए हैं। वैदिक शास्त्रों के भीतर वर्णित इन उपायों में विशेष रत्नों को भी स्पष्ट रूप से समझाया गया है क्योंकि विभिन्न ग्रहों को नकारात्मक ग्रहों को दूर करने के लिए विशेष मंत्र जाप किया गया है। अतिरिक्त रूप से , यह भी प्राचीन शास्त्रों के भीतर विस्तृत पृथ्वी शांति उपायों को भावना साथ करने की कोशिश आसान फार्म है . जातक स्वयं इन उपायों को अनीले बनाकर ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ा सकता है।

नीचे दिये गये सूची से अपना ग्रह दोष स्वयं पहचाने


सूर्य विकार ग्रह दोष

सूर्य विकार – यह दो प्रकार में होता है। एक में यह बाधित हो जाता है, दूसरे में होता है।

सबसे पहले इसके लक्षण आंखों में पानी, सोते समय मुंह से लार, निवास में धूप में व्यवधान, नमक खाने की इच्छा तेज होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। मन सुस्त रहता है।

उपाय– तुलसी में जल दें और सुबह पांच काली मिर्च के साथ जल पीएं। घर पर, शरीर पर, कार्यालय में ताम्बा पकड़ो। तांबे के पात्र में रखा पानी पीएं। दार की माला या आर्मबैंड पहने।

दूसरे में क्रोध अधिक होता है, रक्तचाप बढ़ता है, अत्यधिक तीव्रता, घर में धुआं, आंखों में गर्मी, शरीर में गर्मी, कलह, झगड़े, विवाद। ज्यादा नमक पसंद नहीं है। बंदरों की परेशानी है।

उपाय– शिव के मंत्र का जाप करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। तीन पत्तियों के साथ तीन बेल पत्रों का प्रयोग करें। चांदी पहनें, घर में चांदी स्थापित करें। सिरहाने में पानी रखें। दक्षिण दिशा और उत्तरार्धा द्वारा सोना अशुभ होता है। गर्म पदार्थों, मसालों आदि का सेवन न करें। कोल्ड ड्रिंक और फास्टफूड न लें। स्फटिक की माला पहने। चांदी के मोती और मोती की माला भी पक्की होती है।

चंद्रमा विकार ग्रह दोष


यह दो प्रकार में विकृत भी होता है।
पहले में जल स्रोत सूज जाता है, पंप खराब होता है, धीमी गति से होता है, नींद बहुत आती है। शरीर या हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। चांदी खो जाती है। मां बीमार पड़ जाती है। दूध से चीड़ की इच्छा होती है। मानसिक तनाव, चिंता, शोक है। आय घटती है।

उपाय– सूर्य के दूसरे भाग के उपाय करें।

दूसरे में छत टपकती है, बाढ़ आती है, घर में पानी की टोंटी होती है, पानी नियंत्रित नहीं होता, बीमारी पर फिजूल खर्च होता है आदि। ब्लड डिसऑर्डर और फेफड़ों का विकार है। दूध बिखरा हुआ है। मां शोक में है।

उपाय– दरंग जी के मंत्र का जाप करें। कन्या को भोजन कराएं। बस छत-नाला आदि ठीक कर लें। पानी-दूध के नुकसान को रोकें। मंदिर में सफेद कपड़े, दूध या चांदी का दान करें। आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें। सोना पहने हुए। प्राणायाम करें। हल्दी की माला पहनें और आज्ञा चक्र पर तिलक लगाएं।

मंगल विकार ग्रह दोष


यह भी दो प्रकार में बाधित है –

पहले आलस्य, क्षोभ, तनाव, रस्साकशी, दांतों की किटिटाना, क्रोधित सामान, अपशब्द-तोड़ना, मृत्यु-पीला, कलह, ईर्ष्या, आत्मा जलने से ईर्ष्या, विवाद में हार, पुलिस या अपराधियों का भय।

उपाय– हनुमान जी, मंत्र, प्राणायाम की पूजा करें। लाल कपड़ा, मूंगा, ताम्बा का प्रयोग करें। ऐसा भोजन जो लाल रक्त कणों को बढ़ाता है। घर में तांबे के पात्र में सिंदूर और कुमकुम रखें। सूर्या को नमस्कार करें। सुबह सूर्य का ध्यान रखना शुभ रहेगा। मूंगों की माला पहने। मीठा (अच्छा/शहद) खाएं।

दूसरे प्रकार में आक्रामक गुस्सा, मारपीट, गंदी गालियां, क्रूरता की हद तक बल प्रयोग करना, हाई ब्लड प्रेशर, सिर-आंख से शरीर में गर्मी, अत्यधिक काम और शारीरिक मानसिक प्रताड़ना जीवन साथी को देनी पड़ती है।
उपाय– सूर्य के दूसरे भाग के उपाय करें।

संपूर्ण चाणक्य निति
संपूर्ण चाणक्य निति

बुध विकार ग्रह दोष

यह भी दो प्रकार में बाधित है-
पहले गला घोंटना, बुरी आवाज, शरीर में बीमारी, शिक्षा में व्यवधान, लड़की की ओर से बेचैनी (बहन-बुआ), प्रेम संबंध में रुकावट, किताब के पन्ने फोड़ने, आवाज के एल्कोजेनिक इंस्ट्रूमेंट खराब होने आदि के लक्षण होते हैं।
उपाय– दुर्गा जी के मंत्र का जाप करें। कन्या को भोजन कराएं। लड़कियों को मीठा खिलाएं। पन्ना पहने हुए। हरे कपड़े और हरे रंग की माला पहने। अपने पाथवे की राख का प्रयोग करें।

दूसरे में बहुत कुछ बोलना, मीन निकालना, कड़वा बोलना, जल्दबाजी में निर्णय लेना, दूसरों को उनके शब्दों से काम करने के लिए भटकाने की प्रवृत्ति, आपकी बुद्धि का अतिरिक्त दावा, पेय के साथ कलह; नास्तिकता, ऋषियों-पंडित-देवता-परंपरा, बुद्धि का अहंकार आदि।
उपाय– उपाय बृहस्पति है। ‘ओम मंत्र’, गणेश या रुद्र देवता, आज्ञा ध्यान केंद्र और बुजुर्गों का सम्मान करने वाले आशीर्वाद, लोगों में पानी चढ़ाना आदि। मिनेरी जाने के लिए, 15 मिनट तक रहना। सोना पहनना शुभ होता है। गांडे-ताबीज-खाली फटना-बहुत जोर से यंत्र, ढोल-नगाड़े-तायल-हरमोनियम, मंदिर में घंटी बजाना, घर में घंटी लटकाना बहुत अशुभ होता है। हल्दी और रुद्राक्ष पहने माला।

बृहस्पति विकार ग्रह दोष


पहले में लक्षण श्वसन रोग, श्वसन कष्ट, उत्साह की कमी, आत्मविश्वास की कमी, पिता से संबंधित टूटना, गैस्टिक, वाट दर्द, शरीर की ठंड, सिर दर्द, निर्णय में अनिश्चितता, रात की नींद बाधित, चिंता और दुख आदि दिखाई देते हैं।
उपाय– बुध को दूसरा उपाय करना चाहिए।
वहीं दूसरे में अत्यधिक अहंकार, जिद, आपके सामने किसी की बात न सुनने, परंपराओं के प्रति कट्टरता, लड़कियों के प्रति निष्ठुरता, क्रोध और बेटे की उपेक्षा, महिलाओं से घृणा, जिद में घटिया काम आदि के संकेत हैं।
उपाय– बेसन के लड्डू और काले जूते-सफेद धोती कुर्ता-पुजारी का दान मंदिर में करें। शनि के अंगारों में लोहे की अंगूठी या कलाई में स्टील पहने। रुद्राक्ष माला पक्की है। ‘ॐ’ का जाप करें।


शुक्रवार विकार ग्रह दोष


प्रथम प्रकार में शरीर का क्षरण, धातुकर्म, कामुकता, उदर वृद्धि, शरीर में दर्द, पत्नी का दुख, संचित धन की हानि, खेती की भूमि की बिक्री, नामार्डी, सेक्स कमजोरी आदि होती है। भूख न लगना, कब्ज, पाचन शक्ति की कमजोरी, गर्भाशय संबंधी विकार, लिसिकारिया, धातुविज्ञान भी इसके लक्षण हैं।
उपाय– शुक्राणुओं की दवाओं का सेवन करें। बरगद में जल दें और हीरा या पन्ना पहनकर उसकी जड़ का मिट्टी का तिलक लगाएं। घर में कुछ फर्श कच्ची रखें या फिर हल्दी का पौधा बर्तन में रखें।

दूसरे प्रकार में प्रकार में अत्यधिक भोजन की इच्छा; शरीर को मोटा कर रहे हैं; धन का आना, लेकिन व्यय नहीं; खेत में अत्यधिक कामुकता, अय्याशी, लेकिन स्त्री संबंध, पत्नी का स्थूल आदि खेती नहीं होती है।
उपाय– प्राणायाम, व्यायाम, योग। मुत्तापा कीटनाशकों का प्रयोग करें। गरीबों को कपड़े दान करें। छात्राओं को पुस्तक का दान करें। साली को घर में न लाएं। पर (रहने के लिए) महिला की जिम्मेदारी न लें। दान दान करें।

शनि विकार ग्रह दोष

प्रथम प्रकार लाल रक्त कणों, शरीर में जल, पीलिया, अकला, उत्साह, मानसिक कमजोरी की कमी पैदा करता है। मुकदमों में हार, खेत में अनाज की बर्बादी। हड्डियों में दर्द, नसों में दर्द, आंखों की कमजोरी, बालों का झड़ने आदि। व्यापार, पौरुष और रति शक्ति में कमजोरी है। जूते- चप्पल, वाहनों की खराबी, लोहे की तरह जंग।
उपाय– लोहे की कड़ी, लोहे की अंगूठी, लोहे से युक्त दवाइयां, लाल कपड़ा आदि का सेवन करें। भैरव जी के मंत्र का जाप करें और उनके मंदिर में तेल जलाएं।
दूसरे प्रकार में, अत्यधिक कठोरता की उत्पत्ति, हड्डियों का उदय, कठोरता। कड़े बाल। शरीर में बहुत सारे वाद, तैलीय और लोहा, कठोरता का स्वभाव, कर्कशता का शोर, सिर में चोट, नसों में तनाव, पथरी, मूत्र रोग आदि होते हैं।
उपाय – दूध और पानी का अधिक सेवन करें। लोहे का तेल दान करें। काले-नीले रंग से बचें। नीलम या लोहे की अंगूठी न पहनें। ताम्बा पहनें। सूर्या को नमस्कार करें। प्राणायाम करें। घर में धूप के लिए ऐसी व्यवस्था करें। हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें।

राहु विकार ग्रह दोष

दूसरे प्रकार में अवसाद, निराशा, चिंता, पीड़ा, भय की उत्पत्ति होती है। रात की नींद खत्म हो जाती है, बहुत नुकसान होता है। आय बाधित होती है। घर में झगड़ा होता रहता है, जो आत्महत्या करने का आवेग पैदा करता है। जेलखाना, पागलखाना, बिजली का झटका, पुलिस द्वारा प्रताड़ना, हवालात, उसके गुण। गर्भपात भी होता है। एक भूत है।
उपाय: चंद्रमा को मजबूत करें। सिर पर बेल पत्र पीसकर लेप लगाएं। प्रतिदिन 50 ग्राम चीनी के साथ घड़ी का गूदा खाएं। नीले, जालीदार, काले और वर्दी जैसे कपड़ों से बचें। बिजली न करें। सिर पर एक पीपली या एक शिथिल टोपी पहने हुए। माता का आशीर्वाद लें।
दूसरे प्रकार में झगड़ा, आक्रामक होना, काम पर उन्मत्त होना, एक तरह का शक्तिशाली पुलाव पकाना, अति उत्साहित होना, छत टपकाना, बाढ़, घर में पानी की बर्बादी, अत्यधिक खर्च, रक्त विकार, मानसिक बीमारी शामिल हैं।
उपाय– लोगों को पानी- मुफ्त दूध। सिर में तेल लाएं। जालीदार, नीले, वर्दीधारी कपड़ों से बचें। नीलम न पहनें। चंद्रमा की वस्तुओं का दान करें। नदी-नाले में जौ बहाया।

केतु विकार ग्रह दोष

दूसरे प्रकार में पैर में चोट, पैर में गड़बड़ी, वाहनों में खराबी, मशीन का बंद होना या खराबी, पालतू कुत्ते की मौत, बच्चे पर संकट, आय रुकना, काम में बाधा आना, कमर दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द।
उपाय– मंदिर में जाएं। मंदिर में काले-सफेद सूती या यूनी कपड़े का दान करें। सोना पहने हुए। सीएफआरबी इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचें या पानी में डाल दें।
दूसरे प्रकार अत्यधिक बहुमुखी प्रतिभा, लोभ, भूख, कामवेज है। नृत्य, भागो। वाहन व्यवस्था से बाहर हो जाते हैं । ब्रेक असफल हो सकते हैं। काम जल्दी चलता है- बंद हो जाता है।
उपाय– तेल लगाएं। कड़ा लोहा पहने हुए। मंदिर में जाएं। कुत्तों को रोटी दें। कौए को दाना खिलाएं। गाय को दूध पिलाएं और गोमूत्र का सेवन करें।

तो कैसा लगा हमारी “अपना ग्रह दोष स्वयं पहचाने” जानकारी ?

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