जीव का इस संसार में बड़ा महत्व है, पूर्ण ज्ञान के कारण मनुष्य पृथ्वी का सबसे बुद्धिजीवी प्राणी रहा है, इसने अपने कार्य के लिए समय-समय पर कई नई खोज की, कई नए अविष्कार किए। किसी को मारण प्रयोग से, किसी को उच्चाटन से, किसी को मोहन मंत्रों से अपने कार्य के अनुरूप करा और उसे मनवांछित कार्य लिए। आइए देखें कुछ छोटे-छोटे प्रयोग।
1. शत्रु मारण मंत्र
ऊँ हुँ हुँ फट् स्वाहा।
इस मंत्र के प्रयोग से आपके शत्रु भी आपका मित्र बन जाता है। आपकी शत्रुता का नाश हो जाता है। अश्विनी नक्षत्र में चार अँगुल लंबी घोड़े की हड्डी लेकर उपरोक्त दिए गए मंत्र को एक लाख बार जाप कर सिद्ध कर लें, फिर आवश्यकता पड़ने पर इस मंत्र को 21 बार पढ़कर इस हड्डी को शत्रु के मकान में गाढ़ देने से वह नष्ट हो जाता है।
2. ऊँ डं डां डिं डीं डु डू डें डैं डों डौं डं ड:।
अमुकस्य हन स्वाहा।
(अमुक के स्थान पर शत्रु का नाम लें)
यह मंत्र एक लाख बार जप करने से सिद्ध हो जाता है। आवश्यकता पड़ने पर मनुष्य की चार अँगुली लंबी हड्डी लेकर इस मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित कर श्मशान भूमि में गाढ़ देने से शत्रु का विनाश हो जाता है।
नोट : पाठकों से विनम्र निवेदन है कि आप किसी के प्राण लेने, हानि पहुँचाने की दृष्टि से मंत्रों का उपयोग न करें। जब भी इसका प्रयोग करें, सर्वजन हिताय को ध्यान में रखकर करें।