ज्योतिष में पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप वर्तमान समय में कुंडली में वर्णित ग्रह दिशा प्रदान करते हैं। तभी तो हमारे धर्मशास्त्र सकारात्मक कर्मों को महत्व देते हैं। यदि हमारे कर्म अच्छे होते हैं तो अगले जन्म में ग्रह सकारात्मक परिणाम देते हैं। इसी क्रम में पितृदोष का भी निर्माण होता है। यदि हम इस जन्म में पिता की हत्या पिता का अपमान बड़े बुजुर्गों का अपमान आदि करते हैं तो अगले जन्म में निश्चित तौर पर हमारी कुंडली में पितृदोष आ जाता है। कहा जाता है कि पितृदोष वाले जातक से पूर्वज दुखी रहते हैं।
कुंडली से पितृ दोष का मूल रहस्य – kundalee se pitr dosh ka mool rahasy – किया कराया, जादू टोना