मन्त्र:—- ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
लकवा, गुप्तांगो में रोग और कमजोरी, खून की कमी, पथरी, मूत्राशय सम्बन्धी रोग इत्यादि।
दृष्टि सम्बन्धित रोग, जननेन्द्रिय सम्बन्धित रोग, मूत्र सम्बन्धित एवं गुप्त रोग, मिर्गी, अपच, गले के रोग, नपुंसकता, अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियों से संबंधित रोग, मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न रोग, पीलिया रोग इत्यादि.