रामायण की चैपाई से लिए गए मंत्रों का श्रद्धा और विश्वास से जप करें, समस्याओं का निवारण होगा। ये ना केवल बोलने में आसान पर गाने में बेहद मीठी भी होती हैं।
रोजगार: बिस्वा भरण-पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।। गई बहोर गरीब नेवाजू सरल सबल साहिब रघुराजू।। विपत्ति निवारण: जपहि नामु जन आरत भारी। मिटाई कुसंकट होहि सुखारी।।
परीक्षा में सफलता: जेहि पर कृपा करहि जनु जानी। कवि उर अजिर नचावहि बानी।। मोरि सुधारिहि सा सब भांति। जासु कृपा नहि कृपा अघाती।। विद्या प्राप्ति : गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल विद्या सब आई।। नवग्रह शांति मोहि अनुचर कर केतिक बाता। तेहि महं कुसमउ नाम विधाता।।
यात्रा में सफलता : प्रविसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कौसलपुर राजा।। परिवार सुख जबसे राम ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बढ़ाए।। पुत्र प्राप्ति : प्रेम मग्न कौसल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
नजर दूर करने के लिए: स्याम गौर सुन्दर दोऊ जोरी। निरखहिं छबि जननी तृन तोरी।। दांपत्य जीवन में सुख : रामहि चितव माप जिहि सिया। सो सनेहु सुख नहि कथानिया।।
प्रेतबाधा निवारण: प्रनवऊं पवन कुमार खल वन पावक ज्ञान धन। जासु हृदय आगार बसहि राम सर चापि धर।। सुयोग्य वर: सुन सिय सत्य अशीश हमारी पूजहि मन कामना तिहारी।।
सर्व सिद्धि : भाव कुभाव अनख आलसहु। नाम जपत मंगल दिशि दसहु।। भ्रम निवारण : राम कथा सुंदर करतारी। संशय विहग उड़ावन हारी।। कुमार्ग से बचाव: रघुवंसिन कर एक सुभाऊ । मन कुपंथ पग धरहि न काऊ ।।
बटुक मंत्र मंत्र -ऊँ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू-कुरू बटुकाय ह्रीं। अनेक प्रकार की आपदाओं का निवारण करने, धन, जन, सौख्य और पद-प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला यह बटुक मंत्र बहुत प्रभावशाली माना गया है। लक्ष्मीदायक मंत्र मंत्र : ऊँ लक्ष्मीभ्यो नमः । जातक आर्थिक संकट से मुक्त हो जाता है। ऐसा ही यह लक्ष्मीदायक मंत्र है।