aashlesha nakshatr ke jaatak

आश्लेषा नक्षत्र के जातक – जन्म नक्षत्र का व्यक्तित्व पर प्रभाव – Ashlesha constellation of native – aashlesha nakshatr ke jaatak

नक्षत्रों की गणना के क्रम में आश्लेषा नक्षत्र नवम स्थान पर आता है। यह नक्षत्र कर्क राशि के अन्तर्गत आता है। इस नक्षत्र का स्वामी बुध होता है। इस नक्षत्र को अशुभ नक्षत्र की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यह गण्डमूल नक्षत्र के अन्तर्गत आता है। इस नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति गण्डमूल नक्षत्र से प्रभावित होते हैं।शास्त्रों का मानना है कि यह नक्षत्र विषैला होता है। प्राण घातक कीड़े मकोड़ो का जन्म भी इसी नक्षत्र में होता है। ऐसी मान्यता है कि इस नक्षत्र में जिनका जन्म होता है व उनमें विष का अंश पाया जाता है। इस नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव, व्यवहार और व्यक्तित्व कैसा होता है आइये इसे और भी विस्तार से जानें:ज्योतिषशास्त्र कहता है

आश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति बहुत ही ईमानदार होते हैं परंतु मौकापरस्ती में भी पीछे नहीं रहते यानी ये लोगों से तब तक बहुत अधिक घनिष्ठता बनाए रखते हैं जबतक इनको लाभ मिलता है। इनका स्वभाव हठीला होता है, ये अपने जिद आगे किसी की नहीं सुनते हैं। भरोसे की बात करें तो ये दूसरे लोगों पर बड़ी मुश्किल से यकीन करते हैं।आश्लेषा नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति बहुत ही बुद्धिमान होते हैं और अपनी बुद्धि व चतुराई से प्रगति की राह में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। ये अपनी वाणी की मधुरता का भी लाभ उठाना खूब जानते हैं। ये शारीरिक मेहनत की बजाय बुद्धि से काम निकालना जानते है। ये व्यक्ति को परखकर उसके अनुसार अपना काम निकालने में होशियार होते हैं।

ये खाने पीने के भी शौकीन होते हैं, परंतु इनके लिए नशीले पदार्थ का सेवन हितकर नहीं माना जाता है।ज्योतिषशास्त्र की मानें तो यह कहता है, जो लोग इस नक्षत्र में पैदा लेते हैं वे व्यवसाय में काफी कुशल होते हैं। ये नौकरी की अपेक्षा व्यापार करना अच्छा मानते हैं, यही कारण है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अधिक समय तक नौकरी नहीं करते हैं, अगर नौकरी करते भी हैं तो साथ ही साथ किसी व्यवसाय से भी जुड़े रहते हैं। इसका कारण यह है कि ये पढ़ाई लिखाई में तो ये सामान्य होते हैं परंतु वाणिज्य विषय में अच्छी पकड़ रखते हैं। ये भाषण कला में प्रवीण होते हैं, जब ये बोलना शुरू करते है तो अपनी बात पूरी करके ही शब्दों को विराम देते हैं। इनमें अपनी प्रशंसा सुनने की भी बड़ी ख्वाहिश रहती है।इस नक्षत्र में जिनका जन्म होता है

वे अच्छे लेखक होते हैं। अगर ये अभिनय के क्षेत्र में आते हैं तो सफल अभिनेता बनते हैं। ये सांसारिक और भौतिक दृष्टि से काफी समृद्ध होते हैं एवं धन दौलत से परिपूर्ण होते हैं। इनके पास अपना वाहन होता है, ये व्यवसाय के उद्देश्य से काफी यात्रा भी करते है। इनमें अच्छी निर्णय क्षमता पायी जाती है। इनके व्यक्तित्व की एक बड़ी कमी यह है कि अगर अपने उद्देश्य में जल्दी सफलता नहीं मिलती है तो ये अवसाद और दु:ख से भर उठते हैं। अवसाद और दु:ख की स्थिति में ये साधु संतों की शरण लेते हैं।इस नक्षत्र के जातक का साथ कोई दे न दे परंतु भाईयों से पूरा सहयोग मिलता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्री के विषय में ज्योतिषशास्त्र कहता है कि ये रंग रूप में सामान्य होते हैं, लेकिन स्वभाव एवं व्यवहार से सभी का मन मोह लेने वाली होती है। जो स्त्री इस नक्षत्र के अंतिम चरण में जन्म लेती हैं वे बहुत ही भाग्यशाली होती हैं ये जिस घर में जाती हैं वहां लक्ष्मी बनकर जाती हैं अर्थात धनवान होती हैं।ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि जिनका जन्म इस नक्षत्र में हुआ है उन्हें गण्डमूल नक्षत्र की शांति करवानी चाहिए व भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

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