हिचकियों के आयुर्वेदिक उपचार
मनुष्य के शरीर में एक मांसपेशी होती है जिसे डायफ्रैम के नाम से जाना जाता है और मनुष्य का सीना उसे उसके उदर से अलग रखता है। ज्यादा करके डायफ्रैम एकदम सुचारू रूप से कार्य करता है। जब आप साँस लेते हैं तो वह अपने आपको नीचे खींच लेता है ताकि अन्दर ली हुई हवा फेफड़ों तक पहुँच सके, और जब आप साँस छोड़ते हैं तो यह ऊपर उठकर उस हवा को निष्काषित करने में मदद करता है। पर कभी कभी डायफ्रैम उग्र हो जाता है जिसके कारण वह झटके से नीचे की तरफ जाता है और हवा को अचानक गले में खींच लेता है। जब अंदर जाती हुई हवा आपके कंठ से टकराती है तो हिचकी के रूप में आवाज़ निकलती है।
जल्दी जल्दी खाना खाना, या घबराहट के कारण भी हिचकियाँ होती हैं। आम तौर से हिचकियाँ कुछ मिनटों तक रहती हैं, पर कभी कभी कई हफ़्तों तक जारी रह सकती हैं।
हिचकियों की घरेलू और आयुर्वेदिक चिकित्सा
रह रह कर होनेवाली हिचकियों से राहत पाने के लिए बार बार नींबू का टुकड़ा चूसें।
कुचली हुई बर्फ के सेवन से भी हिचकियों से काफी हद तक राहत मिलती है।
उस पानी का सेवन करने से भी हिचकियों में लाभ मिलता है जिसमे इलायची उबाली गयी हो।
पीठ के बल लेटे रहने से भी हिचकियों से काफी हद तक राहत मिलती है।
मुहं में एक चम्मच शक्कर रखकर चूसने से भी हिचकियों से राहत मिलती है।
मूँगफली के मक्खन का सेवन करने से भी कई लोगों को बार बार आनेवाली हिचकी से राहत मिलती है।
चर्बीयुक्त और फ्रीज़र में रखे खान पान के सेवन से बचें।
अदरक के छोटे टुकड़े चूसने से भी हिचकियों से काफी राहत मिलती है।
अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर स्ट्रा से पानी या किसी स्वस्थ पेय का सेवन करने से भी हिचकियाँ दूर हो जाती हैं।
हिचकियों को ठीक करने के लिए जो आयुर्वेदिक औषधियां चिकित्सक लेने की सलाह देते हैं वे हैं सुकुमार घृता, एलादी वटी इत्यादि ।
मोर के पंख की राख जलाकर अदरक और शहद के साथ मिलकर चाटने से भी हिचकियाँ दूर करने में मदद मिलती है।
दो छोटे चम्मच दही या योगर्ट में मिलाकर सेवन करने से भी हिचकियों से काफी हद तक राहत मिलती है।
गुनगुने पानी में नींबू का रस, एक चुटकी नमक, और पुदीने के कुछ पत्ते मिलाकर पीने से न सिर्फ गैस की परेशानी कम होती है बल्कि हिचकियों से भी राहत मिलती है।
जहाँ तक हो सके वहां तक एक गहरी साँस लें, और फिर उसे छोड़ दें। इससे आपके फेफड़े और डायफ्रैम सुचारू रूप से काम करने लगेंगे और आपकी हिचकियाँ तुरंत बंद हो जाएँगी।
हिचकियों की आयुर्वेदिक चिकित्सा रोगी की हालत और उसकी जांच पर निर्भर करती है।आयुर्वेदिक औषधियों में नैसर्गिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल होता है और इन औषधियों के किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते। लेकिन इनका प्रयोग चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं करना चाहिये।
हिचकियों के उपचार के लिये अन्य मशवरे:
सर्दी के दिनों में रोगी को दिन में बिलकुल नहीं सोना चाहिये।
हर तरह के कठिन परिश्रम से बचें।
यौन क्रिया और यौन संबधी गतिविधियों से भी बचें।