आंखों के रोग
आरम-मेट :
यदि रोगी को ऐसा महसूस हो कि आंखों के बाहरी की ओर से उसके अन्दर के तरफ चारों ओर दर्द हो रहा हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आरम-मेट औषधि की 6X का चूर्ण या इसकी 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
आर्जेण्टम-नाई :
आंखें चिपक गई हो या आंखों से पीब निकल रहा हो या आंखों के सामने सांप घूमता हुआ दिखाई दे रहा हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्जेण्टम-नाई औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
आर्स-एल्ब :
आंखों से जलनयुक्त आंसू निकल रहा हो और वह गाल पर गिरने पर मानो वह जगह सफेद हो गई हो तो इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए आर्स-एल्ब औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
ऐकोनाइट :
बिना किसी कारण से एकाएक अंधा हो जाने पर रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइट औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का सेवन करना चाहिए।
ऐगरिकस :
अगर आंखों की पलकों की पेशियां सिकुड़ रही हो तो इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए ऐगरिकस औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
एलियम-सिपा :
यदि आंखों से पानी बह रहा हो और आंखों में ऐसा लग रहा हो की कोई चीज गिरने के कारण किरकिरापन मच रहा है, इसके साथ ही रोगी को सर्दी लगे तथा नाक से पानी टपक रहा हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एलियम-सिपा औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
ऐसाफिटिडा :
आंखों के अन्दरूनी भाग से बाहरी भाग के चारों ओर दर्द फैल रहा हो तो ऐसे लक्षण को ठीक करने के लिए ऐसाफिटिडा औषधि की 3 या 6 शक्ति का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
युपेट-पर्फ :
आंखों की पुतलियों में अकड़न हो रही हो तथा इसके साथ ही पानी भी निकल रहा हो तथा यह खांसने के समय में ऐसा अधिक हो रहा हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए युपेट-पर्फ औषधि की 3X मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
युफ्रेशिया :
आंखों से जलन के साथ पानी बह रहा हो। आंखों से बहुत अधिक पानी गिरने के साथ ही आंखें लाल हो गई हो, सुबह के समय में पलकें चिपक जाती हो और रेटिना में कफ जैसा पदार्थ जम रहा हो। इस प्रकार के लक्षण के होने पर उपचार करने के लिए युफ्रेशिया औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए। आवश्यक होने पर युफ्रेशिया औषधि की आठ गुने पानी के साथ मिलाकर बीच-बीच में आंखों में डालना चाहिए।
एइलैन्थस :
आंखों में खून जमा होना तथा आंखों की पुतलियां फुली हुई हो तो इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए एइलैन्थस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
एपिस :
आंखों के नीचे सूजन हो तथा सुई गड़ने की तरह का दर्द हो रहा हो और ठण्डे पदार्थो का उपयोग करने से रोग के लक्षण नष्ट हो रहे हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
कास्टिकम :
आंखों की पलकें अपने आप ही गिर जाती हैं और रोगी पलकों को उठाने की बहुत अधिक कोशिश करता है लेकिन वह अपने पलकों को ऊपर नहीं उठा पाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए कास्टिकम औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
कैलि-कार्ब :
आंखों का फूल जाना तथा इसके साथ ही आखों से लेसदार स्राव होना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए कैलि-कार्ब औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
कैलि-सल्फ :
आंखों से पीब की तरह आंसू आना इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए कैलि-सल्फ औषधि की 6X मात्रा का सेवन करना चाहिए।
किल्मेटिस :
आंखें सूख जाती हैं और लाल पड़ जाती हैं, गरम रहती हैं, आंखों के बीच के भाग में जलन होने के साथ ही दर्द होता है, सर्दी या रात में दर्द बढ़ने लगता है, आंखों से पानी गिरने लगता है। ऐसे ही लक्षणों को ठीक करने के लिए किल्मेटिस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
क्रोटेलस :
आंखों से खून निकलना, आंखें पीली हो जाना। इस प्रकार के लक्षणों का उपचार करने के लिए कोटेलस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग लाभदायक होता है।
जेलसिमियम :
आंखों की पेशियों का फड़कना या वश में न रहना। कम दिखाई देना और सिर में चक्कर आना। आंखों की पुतली का फैलना और आंखों के स्नायु में दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए जेलसिमियम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
नेट्र-म्यूर :
आंखों में आंसू भरा रहता हो, आंखों से पानी गिर रहा हो तथा खांसते समय ऐसा अधिक हो रहा हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए नेट्रम-म्यूर औषधि की 12X मात्रा विचूर्ण या 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
पल्सेटिला :
आंखें लाल हो गई हो, खाली जगह में या ठण्डी हवा में आंखों से पानी निकल रहा हो तथा आंखों से पीले रंग का स्राव हो रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सेटिला औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
प्रूनस-स्पाइनोसा :
आंखों के दर्द को ठीक करने के लिए प्रूनस-स्पाइनोसा उत्तम औषधि है। आंखों में केवल तेज दर्द हो रहा हो, दूसरा कोई घाव न रहने पर इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्रूनस-स्पाइनोसा- मदर टिंचर का उपयोग करना चाहिए।
प्लाटिना :
कोई वस्तु अपनी असली लम्बाई या चौडाई से छोटी दिखाई दे रही हो तो इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए प्लाटिना औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
प्लैटेनम :
पलकों पर घाव होना, पलकों पर फुंसियां होना, पलकों के कोनों में गुहेरी होना। इस प्रकार के रोग होने पर उपचार करने के लिए प्लैटेन- मदर टिंचर 5 बूंद की मात्रा में 14 मिलीलीटर पानी में मिलाकर आंखों को धोना चाहिए। इससे मोतियाबिन्द ठीक हो जाता है।
फाइसोस्टिग्मा :
आंखों का करकराना तथा दर्द होना, इस प्रकार का दर्द अगर चश्मा लगाने के बाद भी न दूर हो तो इसे ठीक करने के लिए फाइसोस्टिग्मा औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
फ्लुओरिक-एसिड :
यदि रोगी को ऐसा महसूस हो रहा हो कि आंखों में ठण्डी हवा लग रही है तो इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए फ्लुओरिक-एसिड औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
बेलाडोना :
आंखों में रोशनी जरा भी सहन नहीं होती, आंख लाल हो जाती हैं, आंखों में कुछ टपकने के समान दर्द होता है, दर्द का असर सिर तक फैल जाता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए बेलेडोना औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना लाभकारी है।
बोरैक्स :
पलकों पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं, पलकों की बरौनियां का जुड़ जाना, पलकों का अन्दर की ओर उलट जाना, आंखों के कोनो में खुजली और दर्द होना। इस प्रकार के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए बोरैक्स औषधि की 3X चूर्ण की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
रस-टक्स :
आंखों का पूरा भाग फूल जाना या उसके चारों ओर का भाग फूल जाना। आंखों से गर्म आंसू गिरना, पलकें भारी और कड़ी महसूस होना। पानी में अधिक भिंगने या गीली जगह पर रहने के कारण से आंखों का फूल जाना। इस प्रकार के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए रस-टक्स औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ हो सकता है।
रूटा :
सिलाई करने, पढ़ने या आंखों का भारी कार्य करने से आंखों का लाल हो जाना और आंखों में दर्द होना। दीये की रोशनी में पढ़ने से आंखों में जलन होना, रात के समय में ऐसा महसूस होना कि मानो हरे रंग का घेरा है, आंखें फैलने या आंखों पर जोर देकर कोई भी चीज देखने या पढ़ने पर सिर में दर्द हो जाता है। इस प्रकार के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए रूटा औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
स्टैफिसेग्रिया :
पलकों पर कड़ी बतौड़ी या ऊंची गोटियां होने पर उपचार करने के लिए स्टैफिसेग्रिया औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का सेवन करना चाहिए।
स्ट्रैमोनियम :
कोई भी वस्तु दो दिखाई देती हैं। छोटी चीज बड़ी दिखाई देती है और सभी चीजें काली महसूस होती हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी किसी भी चीज को आंख फाड़-फाड़कर देखता है। आंख की पुतली का फैल जाना। इस प्रकार के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए स्ट्रैमोनियम औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना लाभकारी है।
साइक्यूटा :
आंखों की पुतली बड़ी हो जाना, आंखें सुन्न हो जाना, दृष्टि टेढ़ी हो जाना, पढ़ने के समय अक्षर ऊंचे-नीचे दिखाई देना या एकदम न दिखाई देना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए साइक्यूटा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
साइना :
धुंधला दिखाई देने के ऐसे लक्षण जिसमें आंखें हल्का रगड़ देने पर कुछ साफ दिखाई देने लगना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए साइना औषधि की 3x या 200 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
सल्फर :
आंखों में जलन होती है और ऐसा लगता है कि मानों आंखों के अन्दर बालू गिर गया है। आंखें धोने पर दर्द बढ़ जाता है, आंखों के सामने मानो पर्दा पड़ा हुआ है, आंखों में मानों सुई गड़ रही है। इस प्रकार के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए सल्फर औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
साइल्कामेन :
आंखों के सामने धुंआ या कुहासा दिखाई देना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए साइल्कामेन औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करे।
सिपिया :
आंखें भारी मालूम होना मानो पक्षाघात हो गया हो, पलकों का अपने आप ही गिर जाना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए सिपिया औषधि की 12वीं शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
सिमिसिफ्यूगा :
आंखों में दर्द होता है, आंखों में लगातार तेज दर्द होता रहता है तो उसके चारों तरफ त्वचा के ऊपर सिमिसिफ्यूगा औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
सिलिका :
आंसू बहाने वाली गांठ की सूजन, रोशनी या धूप देखने से ही उसमें चक्कर आ जाता है, दृष्टि-भ्रम होता है, पढ़ने के समय अक्षर सब आपस में सट जाते हैं। मोतियाबिन्द, पलकों पर छोटी या बड़ी आकार की मांस का पिण्ड बन जाता है। इस प्रकार के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए सिलिका औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का सेवन करना चाहिए।