munh se

मुंहासे – पुरुष रोग का होम्योपैथी उपचार – munh se – purush rog ka homeopathy se upchar

मुंहासे
जानकारी :-

मुंहासे एक तैलिय ग्रंथियों से सम्बंधित रोग है जो अक्सर 15-16 साल की आयु के युवक-युवतियों में चेहरे पर छोटे-छोटे दानों के रूप में होता है जिसे मुंहासे कहते हैं। चेहरे पर मुंहासे स्वास्थ्य खराब होने के कारण होता है। स्त्रियों में यह रोग अधिकतर मासिकधर्म की गड़बड़ी के कारण होता है।

कारण :-

मुंहासे अधिकतर युवावस्था के दौरान होता है परन्तु कुछ अन्य कारणों से भी मुंहासे हो जाते हैं जैसे- वंशानुगत, खाने-पीने में सावधानी न रहना, मानसिक तनाव, शरीर साफ न रखना, कोर्टीकोस्टेरोइड जैसी दवाईयों का प्रयोग करना आदि।

रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-

चेहरे पर मुंहासे होने पर बोरैक्स औषधि की 3x मात्रा का विचूर्ण सेवन करना चाहिए और सुहागे की लावा के चूर्ण को जैतून के तेल में मिलाकर फोड़े पर लगाना चाहिए। यह नाक या दोनों होठों के फोड़ें में भी लाभकारी होती है।

कैल्के-कार्ब- 6, एसिड-नाई- 6 ग्रैफाइटिस- 6, सल्फ्यूरिक-एसिड- 3 शक्ति आदि औषधियों का प्रयोग रोग की अवस्था के अनुसार करना चाहिए। एसिड-नाई औषधि का प्रयोग विशेष रूप से युवतियों में मुंहासे होने पर किया जाता है।

सावधानी :-

मुंहासे होने पर चेहरे को साबुन से न धोए तथा किसी भी प्रकार के तैलीय मेकअप का इस्तेमाल न करें। चेहरा धोते समय स्क्रब का प्रयोग करना हानिकारक होता है। कड़ी धूप में अधिक न घूमे और आवश्यक हो तो चेहरे को ढककर ही धूप में निकले। मुंहासे को दबाकर निकालने की कोशिश न करें क्योंकि इसे घाव बनने का डर बना रहता है।

भोजन :-

मुंहासे से पीड़ित व्यक्ति को ताजे व रसीले फलों का सेवन करना चाहिए, हरी सब्जियां अधिक मात्रा में सेवन करना मुंहासे में फायदेमंद होता है। इस रोग में तैलीय व चर्बीदार भोजन का सेवन न करें तथा आइस्क्रीम, चॉकलेट, मक्खन, ब्रेड तथा मिठाइयों आदि का सेवन करना हानिकारक होता है।

मुंहासे – munh se – पुरुष रोग का होम्योपैथी उपचार – purush rog ka homeopathy se upchar

Tags: , , , , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top