आंशिक मांगलिक दोष क्या है

remove malicious defects

मांगलिक दोष दूर करे – मांगलिक दोष | Remove malicious defects – manglik dosh

  जो मांगलिक जातक नीचे दिए गए २१ नामों की पूजा करता हैं उसपर से मांगलिक दोष कट जाता हैं और वो हर कार्य में विजयी होता हैं . 1. ऊँ मंगलाय नम: 2. ऊँ भूमि पुत्राय नम: 3. ऊँ ऋण हर्वे नम: 4. ऊँ धनदाय नम: 5. ऊँ सिद्ध मंगलाय नम: 6. ऊँ महाकाय […]

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mars peace

मंगल ग्रह शांति – मांगलिक दोष | Mars peace – manglik dosh

  मंगल ग्रह शांति मूंगा धारण करने से सामान्य उपाय में यदि आप मंगल ग्रह के कुप्रभाव से ग्रसित है तो एक बार मुंगा अवश्य धारण करे मुंगा धारण करने से पूर्व निम्नांकित बातो का ध्यान रखे : • मुंगे का चयन करने के पूर्व यह आवश्यक है कि यह कम से कम 5 रत्ती

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manlike woman personality

मांगलिक स्त्री व्यक्तित्व – मांगलिक दोष | Manlike woman personality – manglik dosh

  स्वस्थ और माध्यम लम्बे कद के होते है | कमर पतली, बाल घुंगराले और आँखे लाल होती है | उनके चेहरे पर तेज होता है | अनुशासन के पक्की,चीज़ों को सलीके से सहेजने वाली,भावुक्ताओं की सीमाओं को लांघने वाली, ज़िद्दी, धुन की पक्की और गुणवान होती है | विवाह हेतु निवारण- • जिस कन्या

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manglik dosha and marital life

मांगलिक दोष और वैवाहिक जीवन – मांगलिक दोष | Manglik Dosha and Marital Life – manglik dosh

  वैदिक ज्योतिष में मंगल को लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में दोष पूर्ण माना जाता है।इन भावो में उपस्थित मंगल वैवाहिक जीवन के लिए अनिष्टकारक कहा गया है।जन्म कुण्डली में इन पांचों भावों में मंगल के साथ जितने क्रूर ग्रह बैठे हों मंगल उतना ही दोषपूर्ण होता है जैसे दो क्रूर

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mythological accounts

पौराणिक वृत्यांत – मांगलिक दोष | Mythological accounts – manglik dosh

  मंगल ग्रह की उत्पत्ति का पौराणिक वृत्यांत स्कंद पुराण के अवंतिका खण्ड में आता है की एक समय उज्जयिनी पुरी में अंधक नाम से प्रसिद्ध दैत्य राज्य करता था | उसके महापराक्रमी पुत्र का नाम कनक दानव था | एक बार उस महाशक्तिशाली वीर ने युध्य के लिए इन्द्र को ललकारा तब इन्द्र ने

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mantra of mangal dev

मंगल देव का मंत्र – मांगलिक दोष | Mantra of Mangal Dev – manglik dosh

  ऊं नमोअर्हते भगवते वासुपूज्य0 तीर्थंकराय षण्मुरखयक्ष | गांधरीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: कुंज महाग्रह मम दुष्टहग्रह, रोग कष्ट् निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट् || 11000 जाप्य || मध्यकम यंत्र- ऊं आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं भौमारिष्टभ निवारक श्री वासुपूज्यं जिनेन्द्रा य नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाकहा || 10000 स्वाहहा

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