ऊं नमोअर्हते भगवते वासुपूज्य0 तीर्थंकराय षण्मुरखयक्ष |
गांधरीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: कुंज महाग्रह मम दुष्टहग्रह,
रोग कष्ट् निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट् || 11000 जाप्य ||
मध्यकम यंत्र-
ऊं आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं भौमारिष्टभ निवारक श्री वासुपूज्यं जिनेन्द्रा य नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाकहा || 10000 स्वाहहा ||
लघु मंत्र-
ऊं ह्रीं णमो सिद्धाणं || 10000 जाप्य ||
तान्त्रिक मंत्र-
ऊं क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: || 10000 जाप्य ||
जाप स्वयं करे, यदि संभव न हो सके तो योग्य ब्राहम्ण द्वारा जाप करावें । स्वयं जाप करते समय निम्न बातो को ध्यान मे रखे :
1।जाप प्रतिदिन निर्धारित संख्या में करे ।
2।जाप करने से पूर्व स्नान अवश्य करें ।
3।जाप करते समय मस्तक पर लाल कुंकुम का तिलक अवश्य लगाऐं ।
4।शुद्ध कम्बल अथवा कुश के आसन पर बैठ कर जाप करें ।
5। मूॅगे की माला से मंगल मंत्रो के जाप करे तो अति उत्तम होगा ।
6।जाप के पूर्व मंगल यंत्र का पूजन अवश्य करे एवं शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करे तथा यह दीपक जाप होने तक जलता रहे इस बात का ध्यान रखे ।
7।जाप अवधि मे मौन धारण करे ।
8।एकाग्र चित्त एवं विचार शुन्य होकर जाप करे । उपरोक्त विधि अनुसार जाप करने से निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा ।