मातृ दोष के लक्षण

blemish

दोष जो पित्तरों से सम्बन्धित होता है – पितृदोष | Blemish – pitrdosh

  वह दोष जो पित्तरों से सम्बन्धित होता है पितृदोष कहलाता है। यहाँ पितृ का अर्थ पिता नहीं वरन् पूर्वज होता है। ये वह पूर्वज होते है जो मुक्ति प्राप्त ना होने के कारण पितृलोक में रहते है तथा अपने प्रियजनों से उन्हे विशेष स्नेह रहता है। श्राद्ध या अन्य धार्मिक कर्मकाण्ड ना किये जाने […]

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revenant vaginal curse

भूत-प्रेत योनि श्राप या जीव हत्याजनित दोष – पितृदोष | Revenant vaginal curse – pitrdosh

  विद्वानों ने अपने ग्रंथों में विभिन्न दोषों का उदाहरण दिया है और पितर दोष का संबंध बृहस्पति (गुरु) से बताया है। अगर गुरु ग्रह पर दो बुरे ग्रहों का असर हो तथा गुरु 4-8-12वें भाव में हो या नीच राशि में हो तथा अंशों द्वारा निर्धन हो तो यह दोष पूर्ण रूप से घटता

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tradition of pittar worship and shraddha religion

पित्तर पूजन एवं श्राद्ध धर्म की परम्परा – पितृदोष | Tradition of Pittar worship and Shraddha religion – pitrdosh

  हमें अपने पित्तरों के प्रति वैसी ही श्रद्धा भावना रखनी चाहिये जैसा हम प्रभु के प्रति रखते है। संसार में सभी धर्मों एवं सभ्यताओं में पित्तरों के प्रति कर्त्तव्य पूरा करने को कहा गया है। अनेक धर्मों में अलग अलग रीतियों से पित्तर पूजन एवं श्राद्ध धर्म की परम्परा प्रचलित है। पित्तरों को स्थूल

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some common remedies

कुछ सामान्य उपाय – पितृदोष | Some common remedies – pitrdosh

  1. अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम पर मन्दिर में दूध, चीनी, श्वेत वस्त्र व दक्षिणा आदि दें। 2. पीपल की 108 परिक्रमा निरंतर 108 दिन तक लगाएं। 3. परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु होने पर उसके निमित्त पिंडदान अवश्य कराएं। 4. ग्रहण के समय दान अवश्य करें। 5. जन कल्याण

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early birth

आरम्भिक जन्म – पितृदोष | Early birth – pitrdosh

  हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार चाहे शरीरधारियों की 84 लाख योनियां ही क्यों ना हो परन्तु उनका आरम्भिक जन्म एक रसायनिक तत्व से ही हुआ है। सृष्टि के आरम्भ में एक ही जीव रसायन था और वही अभी तक समस्त प्राणियों की संरचना का एकमात्र कारण है। परिस्थितियों के लम्बे समय के क्रमिक विकास के

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astrological yoga responsible for pitra dosha

पितृ दोष क लिए जिम्मेदार ज्योतिषीय योग – पितृदोष | Astrological Yoga responsible for Pitra Dosha – pitrdosh

  1. लग्नेश की अष्टम स्थान में स्थिति अथवा अष्टमेष की लग्न में स्थिति। 2. पंचमेश की अष्टम में स्थिति या अष्टमेश की पंचम में स्थिति। 3. नवमेश की अष्टम में स्थिति या अष्टमेश की नवम में स्थिति। 4. तृतीयेश, यतुर्थेश या दशमेश की उपरोक्त स्थितियां। तृतीयेश व अष्टमेश का संबंध होने पर छोटे भाई

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supernatural power

परालौकिक शक्ति – पितृदोष | Supernatural power – pitrdosh

  परावैज्ञानिकों को अपने अनुसंधानों के दौरान अनेकों साक्ष्य मिलें है जिससे यह पता चलता है कि तमाम पित्तरों ने समय समय पर अपने आत्मीयों की कठिनाइयों में सहायता की है तथा उनका उचित मार्गदर्शन भी किया है कहीं यह नजर आये है कहीं उनकी आवाज सुनाई पड़ी है और कहीं यह स्पष्ट आभास हुआ

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father's bond

पितरो का ऋणबंधन – पितृदोष | Father’s bond – pitrdosh

  प्रत्येक मनुष्य जातक पर उसके जन्म के साथ ही तीन प्रकार के ऋण अर्थात देव ऋण, ऋषि ऋण और मातृपितृ ऋण अनिवार्य रूप से चुकाने बाध्यकारी हो जाते है। जन्म के बाद इन बाध्यकारी होने जाने वाले ऋणों से यदि प्रयास पूर्वक मुक्ति प्राप्त न की जाए तो जीवन की प्राप्तियों का अर्थ अधूरा

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