मूल नक्षत्र

jyeshtha nakshatr

ज्येष्ठा नक्षत्र – नक्षत्र के वृक्ष द्वारा अपनी समस्याओं को दूर करें – Jyeshtha Star – jyeshtha nakshatr

ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता बुध को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से चीड के पेड को ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग चीड की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में चीड के पेड को लगाते है […]

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mool nakshatra mantra

मूल नक्षत्र मंत्र – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Original Star spells – mool nakshatra mantra

ऊँ मातवे पुत्र पृथ्वी पुरीत्यमग्नि पूवेतो नावं मासवातां विश्वे र्देवेर ऋतुभि: सं विद्वान प्रजापति विश्वकर्मा विमन्चतु॥ मूल नक्षत्र का बडा मंत्र यह है,इसके बाद छोटा मंत्र इस प्रकार से है:- ऊँ एष ते निऋते। भागस्तं जुषुस्व। mool nakshatra mantra – मूल नक्षत्र मंत्र – मूल नक्षत्र मंत्र – Original Star spells  

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mool nakshatr aashlesha mantr

आश्लेषा मंत्र – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Ashlesha spells – mool nakshatr aashlesha mantr

ऊँ नमोऽर्स्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु। ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नम:॥ mool nakshatr aashlesha mantr – मूल नक्षत्र आश्लेषा मंत्र – आश्लेषा मंत्र – Ashlesha spells  

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mool shaanti kee saamagree

मूल शांति की सामग्री – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Original peace Materials – mool shaanti kee saamagree

घडा एक,करवा एक,सरवा एक,पांच प्रकार के रंग,नारियल एक,५०सुपारी,दूब,कुशा,बतासे,इन्द्र जौ,भोजपत्र,धूप,कपूर आटा चावल २ गमछे, दो गज लाल कपडा चंदोवे के लिये, मेवा ५० ग्राम, पेडा ५० ग्राम, बूरा ५० ग्राम,केला चार,माला दो,२७ खेडों की लकडी, २७ वृक्षों के अलग अलग पत्ते,२७ कुंओ का पानी,गंगाजल यमुना जल,हरनन्द का जल,समुद्र का जल अथवा समुद्र फ़ेन,आम के पत्ते,पांच रत्न,पंच

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magha nakshatra samsya

मघा नक्षत्र – नक्षत्र के वृक्ष द्वारा अपनी समस्याओं को दूर करें – Magha Nakshatra – magha nakshatra samsya

मघा नक्षत्र के देवता केतु को माना जाता है,जबकि वैज्ञानिक ष्टिकोण से बरगद के पेड को मघा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बरगद की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में बरगद के पेड को लगाते है,

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mool sangyak nakshatr aur unaka prabhaav

मूल संज्ञक नक्षत्र और उनका प्रभाव – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Original nounal constellation and their effects – mool sangyak nakshatr aur unaka prabhaav

ज्येष्ठा आश्लेषा और रेवती,मूल मघा और अश्विनी यह नक्षत्र मूल नक्षत्र कहलाये जाते है,इन नक्षत्रों के अन्दर पैदा होने वाला जातक किसी न किसी प्रकार से पीडित होता है,ज्येष्ठा के मामले में कहा जाता है,कि अगर इन नक्षत्र को शांत नही करवाया गया तो यह जातक को तुरत सात महिने के अन्दर से दुष्प्रभाव देना

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mool nakshatr abhukt mool vichaar

अभुक्त मूल विचार – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Unpaid basic idea – mool nakshatr abhukt mool vichaar

ज्येष्ठा नक्षत्र की अन्त की दो घडी तथा मूल नक्षत्र की आदि की दो घडी अभुक्त मूल कहलाती है,लेकिन यह बातें तब मानी जाती थीं,जब जातक के माता पिता पहले से ही धर्म कार्यों के अन्दर खुद को लगा कर रखते थे,मगर आज के जमाने में सभी भौतिक कारणों से और सब कुछ पोंगा पंडित

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mool shaanti ke upaay

मूल शांति के उपाय – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Measure the original peace – mool shaanti ke upaay

ज्येष्ठा मूल या अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक के लिये नीचे लिखे मंत्रों का जाप २८००० जाप करवाने चाहिये,और २८वें दिन जब वही नक्षत्र आये तो मूल शान्ति का प्रयोजन करना चाहिये,जिस मन्त्र का जाप किया जावे उसका दशांश हवन करवाना चाहिये,और २८ ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिये,बिना मूल शांति करवाये मूल नक्षत्रों

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nakshatra

नक्षत्रों का मानव जीवन पर प्रभाव – गृह नक्षत्र का प्रभाव – Impact on human life of stars – nakshatra

आकाश मंडल में 27 नक्षत्र और अभिजीत को मिलाकर कुल 28 नक्षत्र होते हैं। राशियों पर 27 नक्षत्रों का ही प्रभाव माना गया है। जन्म के समय हम किस नक्षत्र में जन्में हैं, उसका स्वामी कौन है व उसकी जन्म कुंडली में किस प्रकार की स्थिति है। जन्म के समय का नक्षत्र उदित है या

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Gandmool dosh nivaran puja

गंड मूल दोष निवारण पूजा – गृह नक्षत्र का प्रभाव – Malar original defect prevention worship – Gandmool dosh nivaran puja

किसी कुंडली में उपस्थित भिन्न भिन्न प्रकार के दोषों के निवारण के लिए की जाने वाली पूजाओं को लेकर बहुत सी भ्रांतियां तथा अनिश्चितताएं बनीं हुईं हैं तथा एक आम जातक के लिए यह निर्णय लेना बहुत कठिन हो जाता है कि किसी दोष विशेष के लिए की जाने वाली पूजा की विधि क्या होनी

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