अच्छा पति पाने के लिए क्या करना चाहिए

guru ko banaen anukool - sundar aur suyogya jeevansathi paane ke lie 5 aasaan upaay

गुरू को बनाएं अनुकूल – सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी पाने के लिए 5 आसान उपाय – बीसवां दिन – Day 20 – 21 Din me kundli padhna sikhe – guru ko banaen anukool – sundar aur suyogya jeevansathi paane ke lie 5 aasaan upaay – Beesavan Din

गुरू को ज्योतिषशास्त्र में विवाह का कारक माना गया है। इनकी पूजा से शादी में आने वाली बाधा दूर होती है और सुंदर पत्नी प्राप्त होती है। गुरू को अनुकूल बनाने के लिए प्रत्येक गुरूवार को व्रत रखकर बृहस्पति भगवान की पूजा करें। पांच बेसन के लड्डू और चने की दाल का प्रसाद चढाएं। प्रसाद […]

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vivaah ke liye manae hanumaan ko - sundar aur suyogya jeevansathi paane ke lie 5 aasaan upaay

विवाह के लिए मनाए हनुमान को – सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी पाने के लिए 5 आसान उपाय – बीसवां दिन – Day 20 – 21 Din me kundli padhna sikhe – vivaah ke liye manae hanumaan ko – sundar aur suyogya jeevansathi paane ke lie 5 aasaan upaay – Beesavan Din

हनुमान जी भले ही कुंवारे हैं लेकिन इनकी पूजा से सुंदर जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः ‘स देवि नित्यं परितप्यमानस्त्वामेव सीतेत्यभिभाषमाणः। धृतव्रतो राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृतप्रयत्नः॥ मंत्र का 108 बार पाठ करने पर विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है। सुंदर

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lagn kaarak yog - raahu dvaara nirmit yog aur unaka phal

लग्न कारक योग – राहु द्वारा निर्मित योग और उनका फल – बीसवां दिन – Day 20 – 21 Din me kundli padhna sikhe – lagn kaarak yog – raahu dvaara nirmit yog aur unaka phal – Beesavan Din

राहु द्वारा निर्मित शुभ योगों में लग्न कारक योग का नाम भी प्रमुख है। लग्न कारक योग मेष, वृष एवं कर्क लग्न वालों की कुण्डली में तब बनता है जबकि राहु द्वितीय, नवम अथवा दशम भाव में नहीं होता है। जिस व्यक्ति की कुण्डली में लग्न कारक योग उपस्थित होता है उसे राहु की अशुभता

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ashtalakshmi yog - raahu dwara nirmit yog aur unka phal

अष्टलक्ष्मी योग – राहु द्वारा निर्मित योग और उनका फल – बीसवां दिन – Day 20 – 21 Din me kundli padhna sikhe – ashtalakshmi yog – raahu dwara nirmit yog aur unka phal – Beesavan Din

वैदिक ज्योतिष में राहु नैसर्गिक पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है। इस ग्रह की अपनी कोई राशि नहीं है अत: जिस राशि में होता है उस राशि के स्वामी अथवा भाव के अनुसार फल देता है। राहु जब छठे भाव में स्थित होता है और केन्द्र में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी

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