वास्तु नामावली

vaastudev ka poojan

वास्तुदेव का पूजन – सम्पूर्ण वास्तु दोष – vaastudev ka poojan – sampurna vastu dosh nivaran

सुख, शांति समृद्धि के लिए निर्माण के पूर्व वास्तुदेव का पूजन करना चाहिए एवं निर्माण के पश्चात् गृह-प्रवेशके शुभ अवसर पर वास्तु-शांति, होम इत्यादि किसी योग्य और अनुभवी ब्राह्मण, गुरु अथवा पुरोहित के द्वारा अवश्य करवाना चाहिए। लंबाई चैड़ाई को तीन भागों में विभक्तकिया जाए तो ऐसे भूखंड या भवन का मध्यवर्ती हिस्सा ब्रह्म स्थान […]

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vaastudev ka poojan 1

वास्तुदेव का पूजन 1 – सम्पूर्ण वास्तु दोष – vaastudev ka poojan 1 – sampurna vastu dosh nivaran

सतत प्राप्त होती रहें। चूंकि ब्रह्मांड में आकाशीय तत्वों का बाहुल्य है एवम् मानव मस्तिष्क का नियामक आकाशही है अतः सुख, संपदा, स्वास्थ्य और दीर्घायु के निमित्त वास्तु में ब्रह्म स्थान की महत्ता का प्रतिपादन वास्तु शास्त्र करता है।पुराने समय में भगवान ब्रह्मा के निमित्त घर के बीच वाले स्थान में चैक या आंगन बनाया

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vaidik kal kya hai vastu purush?

वैदिक कालक्या है वास्तुपुरुष? – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik kal kya hai vastu purush? – vedic vastu shastra

वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड में एक ऐसे औंधे मुंह पड़े पुरुष के रूप में की जाती है, जिससे उनका मुंह ईशान कोण व पैर नैऋत्य कोण की ओर होते हैं! उनकी भुजाएं व कंधे वायव्य कोण व अग्निकोण की ओर मुड़ी हुई रहती है! देवताओं से युद्ध के समय एक राक्षस को देवताओं ने

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vastu devata - pooja vidhana

वास्तु देवता – पूजा विधान – वैदिक वास्तु शास्त्र – vastu devata – pooja vidhana – vedic vastu shastra

मत्स्य पुराण के अध्याय 251 के अनुसार अंधकार के वध के समय जो श्वेत बिन्दु भगवान शंकर के ललाट से पृथ्वी पर गिरे, उनसे भयंकर आकृति वाला पुरुष उत्पन्न हुआ! उसने अंधकगणों का रक्तपान किया तो भी उसकी तृप्ति नहीं हुई! त्रिलोकी का भक्षण करने को जब वह उद्यत हुआ, तो शंकर आदि समस्त देवताओं

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pad vastu

पद वास्तु – वैदिक वास्तु शास्त्र – pad vastu – vedic vastu shastra

वास्तु पुरुष का आविर्भाव इतिहास में कब हुआ इसका समय ज्ञात नहीं है परन्तु वैदिक काल से ही यज्ञवेदी का निर्माण पूर्ण विधान के साथ किया जाता था! क्रमश: यहीं से विकास कार्य शुरू हुआ व एक पदीय वास्तु (जिसमें वास्तुखंड के और विभाजन न किए जाएं) जिसे सकल कहते हैं, पेचक मंडल जिसमें एक

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vastu-chakra ka varnan

वास्तु-चक्र का वर्णन – वास्तुशास्त्र – vastu-chakra ka varnan – vastu shastra

सूतजी कहते हैं— ऋषियो! अब मैं गृह निर्माण के उस समय का निर्णय बतला रहा हूँ, जिस शुभ समय को जानकर मनुष्य को सर्वदा भवन का आरम्भ करना चाहिये। जो मनुष्य चैत्र मास में घर बनाता है, वह व्याधि, वैशाख में घर बनाने वाला धेनु और रत्न तथा ज्येष्ठ में मृत्यु को प्राप्त होता है।

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labhdayak vastu samagri

लाभदायक वास्तु सामग्री – वास्तु और सकारात्मक ऊर्जा – labhdayak vastu samagri – vastu aur sakaratmak oorja

लाभदायक वास्तु सामग्री रेखा कल्पदेव, फ्यूचर पाॅइंट आज के इस आधुनिक युग में मकान या दुकान की प्राप्ति बहुत मुश्किल से हो पाती है, यदि होती भी है तो उसे पुनः तोड़कर वास्तु सम्मत बनाना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में यदि मकान, आॅफिस, दुकान या इंडस्ट्री में कहीं वास्तु दोष हो तो नीचे वर्णित

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