वैदिक वास्तु शास्त्र

vaidik vastu shastra ka udbhav

वैदिक वास्तुशास्त्र का उदभव – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik vastu shastra ka udbhav – vedic vastu shastra

'वैदिक शास्त्रों में वास्तु का अर्थ है गृह निर्माण योग्य भूमि! अर्थात् जिस भूमि पर अधिक सुरक्षा व सुविधा प्राप्त हो सके, इस प्रकार के मकान को भवन व महल आदि जिसमें मनुष्य रहते हैं या काम करते हैं वास्तु कहते है। इस ब्रह्मण्ड में सबसे शाक्तिशाली प्राकृति है क्योंकि यही सृष्टि का विकास करती […]

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vaidik kal darpan vaastu

वैदिक काल दर्पण वास्‍तु – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik kal darpan vaastu – vedic vastu shastra

वातावरण में व्‍याप्‍त सकारात्‍म्‍क ऊर्जाओं का उपयोग एवं नकारात्‍मक ऊर्जाओं का प्रतिरोध ही वास्‍तु है! दर्पण के द्वारा भी इन ऊर्जाओं को प्राप्‍त किया जा सकता है! इस पुस्‍तक में दर्पणों के सकारात्‍मक एवं नकारात्‍मक उपयोगों का सचित्र वर्णन किया गया है सकारात्‍मक उपयोग जीवन में लाभकारी एवं नकारात्‍मक उपयोग हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं!

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vaastu dosh ke kaaran hone vaale dushprabhaav

वास्तु दोष के कारण होने वाले दुष्प्रभाव – वास्तुदोष निवारण – vaastu dosh ke kaaran hone vaale dushprabhaav – vastu dosh nivaran

आर्थिक समस्याएं – आर्थिक उन्नति न होना, धन का कहीं उलझ जाना, लाभों का देरी से मिलना, आय से अधिक व्यय होना, आवश्यकता होने पर धन की व्यवस्था ना हो पाना, धन का चोरी हो जाना आदि।पारिवारिक समस्याएं – वैवाहिक संबंधों में विवाद, अलगाव, विवाह में विलम्ब, पारिवारिक शत्रुता हो जाना, पड़ोसियों से संबंध बिगड़ना,

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