jyeshta nakshatra upay

naam akshar athva janm nakshatr

नामाक्षर अथवा जन्म नक्षत्र – चौदहवां दिन – Day 14 – 21 Din me kundli padhna sikhe – naam akshar athva janm nakshatr – Chaudahavaan Din

जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित है उसके आधार पर कुंडली मिलान किया जाता है। जिसे आम भाषा में गुण मिलान भी कहा जाता है। इस विधि में वर एवं कन्या के नामाक्षर अथवा जन्म नक्षत्र की एक सारणी से मिलान करके परिणाम निकाला जाता है। इस गुण मिलान में त्रुटी हो जाए […]

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vrishabh lagna mool nakshatra

वृषभ लग्न मूल नक्षत्र – मूल नक्षत्र – Taurus constellation child marriage – vrishabh lagna mool nakshatra

वृषभ लग्न में केतु एकादश, चतुर्थ, पंचम, दशम नवम भाव में ठीक रहेगा वहीं गुरु की स्थिति तृतीय, एकादश, पंचम, सप्तम में शुभफलदायी होगी। vrishabh lagna mool nakshatra – वृषभ लग्न मूल नक्षत्र – वृषभ लग्न मूल नक्षत्र – Taurus constellation child marriage  

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revatee nakshatr ke jaatakon ka vyaktitv

रेवती नक्षत्र के जातकों का व्यक्तित्व – जन्म नक्षत्र का व्यक्तित्व पर प्रभाव – Revathi Constellation natives of personality – revatee nakshatr ke jaatakon ka vyaktitv

नक्षत्र मंडल में रेवती का स्थान २७वां हैं। यह आखिरी नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के विषय में ज्योतिषशास्त्र क्या कहता है आइये इसकी जानकारी प्राप्त करें।रेवती नक्षत्र का स्वामी बुध होता है और राशि स्वामी बृहस्पति होता है । इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर इस

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mool nakshatr havan saamagree

हवन सामग्री – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – incense burner – mool nakshatr havan saamagree

चावल एक भाग,घी दो भाग बूरा दो भाग, जौ तीन भाग, तिल चार भाग,इसके अतिरिक्त मेवा अष्टगंध इन्द्र जौ,भोजपत्र मधु कपूर आदि। एक लाख मंत्र के एक सेर हवन सामग्री की जरूरत होती है,यदि कम मात्रा में जपना हो तो कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिये। mool nakshatr havan saamagree – मूल नक्षत्र हवन सामग्री

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mool shaanti ke upaay

मूल शांति के उपाय – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Measure the original peace – mool shaanti ke upaay

ज्येष्ठा मूल या अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक के लिये नीचे लिखे मंत्रों का जाप २८००० जाप करवाने चाहिये,और २८वें दिन जब वही नक्षत्र आये तो मूल शान्ति का प्रयोजन करना चाहिये,जिस मन्त्र का जाप किया जावे उसका दशांश हवन करवाना चाहिये,और २८ ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिये,बिना मूल शांति करवाये मूल नक्षत्रों

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