mool nakshatra charan in hindi

mool nakshatr parichay

मूल नक्षत्र परिचय – मूल नक्षत्र – Original constellation introduction – mool nakshatr parichay

मूल नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं। यह ये ये भा भी के नाम से जाना जाता है। नक्षत्र का स्वामी केतु है। वहीं राशि स्वामी गुरु है। केतु गुरु धनु राशि में उच्च का होता है व इसकी दशा 7 वर्ष की होती है। इस के बाद सर्वाधिक 20 वर्ष की […]

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singh lagna mool nakshatra

सिंह लग्न मूल नक्षत्र – मूल नक्षत्र – Leo ascendant original Star – singh lagna mool nakshatra

सिंह लग्न में केतु पंचम, नवम, लग्न, चतुर्थ में व राशि स्वामी गुरु नवम, पंचम, लग्न, चतुर्थ द्वादश में हो तो उत्तम परिणाम मिलते हैं। ऐसा जातक माता, भूमि, भवन, भाग्यवान, प्रभावी, प्रशासनिक सेवाओं में सफल होता है। singh lagna mool nakshatra – सिंह लग्न मूल नक्षत्र – सिंह लग्न मूल नक्षत्र – Leo ascendant

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durbhaagyashaalee nahin hote mool nakshatr ke jaatak

दुर्भाग्यशाली नहीं होते मूल नक्षत्र के जातक – जन्म नक्षत्र का व्यक्तित्व पर प्रभाव – Unlucky not contain the original constellation of native – durbhaagyashaalee nahin hote mool nakshatr ke jaatak

मूल नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र के अन्तर्गत आता है। यह नक्षत्र बहुत ही अशुभ माना जाता है। इस नक्षत्र का स्वामी केतु होता है। इस नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में होते हैं। इस नक्षत्र के विषय में यह धारणा है कि जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं उनके परिवार के सदस्यों को

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mool sangyak nakshatr aur unaka prabhaav

मूल संज्ञक नक्षत्र और उनका प्रभाव – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Original nounal constellation and their effects – mool sangyak nakshatr aur unaka prabhaav

ज्येष्ठा आश्लेषा और रेवती,मूल मघा और अश्विनी यह नक्षत्र मूल नक्षत्र कहलाये जाते है,इन नक्षत्रों के अन्दर पैदा होने वाला जातक किसी न किसी प्रकार से पीडित होता है,ज्येष्ठा के मामले में कहा जाता है,कि अगर इन नक्षत्र को शांत नही करवाया गया तो यह जातक को तुरत सात महिने के अन्दर से दुष्प्रभाव देना

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mool nakshatr abhukt mool vichaar

अभुक्त मूल विचार – मूल नक्षत्र और उनके प्रभाव – Unpaid basic idea – mool nakshatr abhukt mool vichaar

ज्येष्ठा नक्षत्र की अन्त की दो घडी तथा मूल नक्षत्र की आदि की दो घडी अभुक्त मूल कहलाती है,लेकिन यह बातें तब मानी जाती थीं,जब जातक के माता पिता पहले से ही धर्म कार्यों के अन्दर खुद को लगा कर रखते थे,मगर आज के जमाने में सभी भौतिक कारणों से और सब कुछ पोंगा पंडित

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