surya pitra dosh

tradition of pittar worship and shraddha religion

पित्तर पूजन एवं श्राद्ध धर्म की परम्परा – पितृदोष | Tradition of Pittar worship and Shraddha religion – pitrdosh

  हमें अपने पित्तरों के प्रति वैसी ही श्रद्धा भावना रखनी चाहिये जैसा हम प्रभु के प्रति रखते है। संसार में सभी धर्मों एवं सभ्यताओं में पित्तरों के प्रति कर्त्तव्य पूरा करने को कहा गया है। अनेक धर्मों में अलग अलग रीतियों से पित्तर पूजन एवं श्राद्ध धर्म की परम्परा प्रचलित है। पित्तरों को स्थूल […]

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some common remedies

कुछ सामान्य उपाय – पितृदोष | Some common remedies – pitrdosh

  1. अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम पर मन्दिर में दूध, चीनी, श्वेत वस्त्र व दक्षिणा आदि दें। 2. पीपल की 108 परिक्रमा निरंतर 108 दिन तक लगाएं। 3. परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु होने पर उसके निमित्त पिंडदान अवश्य कराएं। 4. ग्रहण के समय दान अवश्य करें। 5. जन कल्याण

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early birth

आरम्भिक जन्म – पितृदोष | Early birth – pitrdosh

  हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार चाहे शरीरधारियों की 84 लाख योनियां ही क्यों ना हो परन्तु उनका आरम्भिक जन्म एक रसायनिक तत्व से ही हुआ है। सृष्टि के आरम्भ में एक ही जीव रसायन था और वही अभी तक समस्त प्राणियों की संरचना का एकमात्र कारण है। परिस्थितियों के लम्बे समय के क्रमिक विकास के

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astrological yoga responsible for pitra dosha

पितृ दोष क लिए जिम्मेदार ज्योतिषीय योग – पितृदोष | Astrological Yoga responsible for Pitra Dosha – pitrdosh

  1. लग्नेश की अष्टम स्थान में स्थिति अथवा अष्टमेष की लग्न में स्थिति। 2. पंचमेश की अष्टम में स्थिति या अष्टमेश की पंचम में स्थिति। 3. नवमेश की अष्टम में स्थिति या अष्टमेश की नवम में स्थिति। 4. तृतीयेश, यतुर्थेश या दशमेश की उपरोक्त स्थितियां। तृतीयेश व अष्टमेश का संबंध होने पर छोटे भाई

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supernatural power

परालौकिक शक्ति – पितृदोष | Supernatural power – pitrdosh

  परावैज्ञानिकों को अपने अनुसंधानों के दौरान अनेकों साक्ष्य मिलें है जिससे यह पता चलता है कि तमाम पित्तरों ने समय समय पर अपने आत्मीयों की कठिनाइयों में सहायता की है तथा उनका उचित मार्गदर्शन भी किया है कहीं यह नजर आये है कहीं उनकी आवाज सुनाई पड़ी है और कहीं यह स्पष्ट आभास हुआ

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father's bond

पितरो का ऋणबंधन – पितृदोष | Father’s bond – pitrdosh

  प्रत्येक मनुष्य जातक पर उसके जन्म के साथ ही तीन प्रकार के ऋण अर्थात देव ऋण, ऋषि ऋण और मातृपितृ ऋण अनिवार्य रूप से चुकाने बाध्यकारी हो जाते है। जन्म के बाद इन बाध्यकारी होने जाने वाले ऋणों से यदि प्रयास पूर्वक मुक्ति प्राप्त न की जाए तो जीवन की प्राप्तियों का अर्थ अधूरा

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wish you peace

शान्ति की कामना करनी चाहिये – पितृदोष | Wish you peace – pitrdosh

  परिजनों का मतृक के लिये लगातार रोने पीटने तथा शोक प्रदर्शन करने से उन्हें दुख होता है उनकी शान्ति में बाधा पड़ती है इसलिये उनकी यादों स्मृतियों क्रिया कलापों को सदा के लिये संजोकर रखकर हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिये उनकी शान्ति की कामना करनी चाहिये परन्तु मतृक के साथ संसारिक मोह बन्धन शीघ्र

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simple remedies for pacification

पितृदोष की शांति हेतु सरल उपाय – पितृदोष | Simple remedies for pacification – pitrdosh

  ► घर में कभी-कभी गीता पाठ करवाते रहना चाहिए। ► प्रत्येक अमावस्या को ब्राहमण भोजन अवश्य करवायें। ► ब्राहमण भोजन में पूर्वजों की मनपसंद खाने की वस्तुएं अवश्य बनायी जाए। ► ब्राहमण भोजन में खीर अवश्य बनाए। ► योग्य एवं पवित्र ब्राहमण को श्राद्ध में चांदी के पात्र में भोजन करवायें। ► स्वर्ण दक्षिणा

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reverence for fathers

पित्तरों के प्रति श्रद्धा भाव – पितृदोष | Reverence for fathers – pitrdosh

  पित्तर अपने कुल से मात्र अपने प्रति श्रृद्धा अपना स्मरण अपना आदर तथा अपने प्रति उचित संस्कार की ही अपेक्षा रखते है और यह भी सत्य है कि उनका श्राद्ध करने उनके नाम से दान धर्म करने संस्कार करने स्मारक आदि बनाने का पुण्य फल एवं यश करने वाले को ही प्राप्त होता है

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sins-from-the-peace-of-fathers-refusal-etc.

पित्रुओं की शांति, तर्पण आदि न करने से पाप – पितृदोष | Sins from the peace of fathers, refusal etc. – pitrdosh

पित्रुओं की शांति एवं तर्पण आदि न करने वाले मानव के शरीर का रक्तपान पित्रृगण करते हैं अर्थात् तर्पण न करने के कारण पाप से शरीर का रक्त शोषण होता है। • पितृदोष की शांति हेतु त्रिपिण्डी श्राद्ध, नारायण बलि कर्म, महामृत्युंजय मंत्र • त्रिपिण्डी श्राद्ध यदि किसी मृतात्मा को लगातार तीन वर्षों तक श्राद्ध

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