परिचय :
इस रोग में अण्डग्रंथि या इनकी आवरण झिल्ली में प्रदाह या जलन उत्पन्न होने से जो सूजन होती है। उससे अण्डकोष के आकार में काफी वृद्धि हो जाती है। इसी को अण्डकोष की जलन कहते है। इसमें पानी जमने की शिकायत नहीं होती है। केवल जलन उत्पन्न सूजन होती है।
भोजन तथा परहेज :
इस रोग में चावल, कच्चा दूध, दही, पके केले से परहेज करना चाहियें।
विभिन्न औषधियों से उपचार:
शराब
शराब के साथ खुरासानी अजवायन को पीसकर अण्डकोष की जलन वाली जगह लेप करने से अण्डकोष के सूजन और दर्द कम हो जाते है।
जीरा
सफेद जीरा शराब में मिलाकर लेप करने से अण्डकोष की जलन, सूजन और दर्द से आराम मिलता है।
सिनुआर
10-20 मिलीलीटर सिनुआर के पत्तों का रस सुबह-शाम दें। सिनुआर, करंज, नीम और धतुरे के पत्तों को पीसकर हल्का-सा गुनगुना करके बांधनें से जलन, सूजन, और पीड़ा मिट जाती है।