gale ka dard

गले का दर्द – घरेलू उपचार – gale ka dard – gharelu upchar

परिचय :-

कई कारणों से गले में दर्द होता है। जब किसी चीज से गले पर चोट लगती है, गला छील जाता है, अधिक गर्म पदार्थ खाने या पीने के कारण गला जल जाने पर गले में दर्द होता है। गले में सूजन आ जाने या कफ बनने के कारण भी दर्द होता है।

विभिन्न औषधियों से उपचार:

बेलाडोना

अगर रोगी के गले में खुश्की होती है, मुंह का अन्दरुनी भाग शीशे की तरह चमकता है, मुंह गुहार सूजा हुआ होता है, टांसिल सूज कर लाल हो जाती है। दायीं तरफ रोग विशेष रूप से फैलता है और रोगी में हर समय कुछ निगलने की सी हरकत होती रहती है या उसे निगलने की इच्छा होती रहती है। गला सूखा महसूस होता है, द्रव्य या सख्त चीजों के सेवन करते समय कभी-कभी वे नाक से निकल पड़ते हैं। द्रव्य या ठोस पदार्थ के स्पर्श को गल कोष सहन नहीं करता है। इसलिए नाक से पानी या भोजन निकल आता है। अगर जुकाम के कारण गले में दर्द होता है, रोग अत्यंत शीघ्रता से बढ़ जाता है और गला खुश्क हो जाता है तो ऐसे लक्षणों में रोगी को बेलाडोना औषधि की 3 या 30 शक्ति का उपयोग करने से लाभ मिलता है। इस तरह के लक्षणों के साथ यदि रोगी को गले में रेत के कण जैसा अटका हुआ महसूस होता है तथा गले की खुश्की दूर करने के लिए वह बार-बार पानी पीता है तो ऐसे लक्षणों में रोगी को बेलाडोना औषधि देने के स्थान पर सिस्टस औषधि सेवन करना अधिक लाभकारी होता है।

मर्क-सौल

  • गले से सम्बंधित विभिन्न लक्षण जैसे- गला खुश्क होना, गले में दर्द होना, हर समय मुंह में आने वाले लार को निगलने की इच्छा, टांसिल का भीतर तथा बाहर से सूज जाना और दर्द होना, गले में जलन होना और लाल होकर सूज जाना आदि प्रकार के लक्षणों में रोगी को मर्क-सौल औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
  • मर्क-सौल औषधि का प्रयोग गले में सूजन, जलन व दर्द के अतिरिक्त मुंह व सांस से तेज बदबू आने पर भी किया जाता है।
  • यदि इन लक्षणों के साथ ही रोगी की जीभ सूज गई हो तो उसे मर्क-कौर औषधि का प्रयोग करना अधिक लाभकारी होता है।
  • गले में गाढ़ा, चिपकने वाला थूक जमा होता है या रोग पुराना हो जाने पर सूजन कम होती है परन्तु गाढ़ा कफ अधिक आता है तो ऐसे में रोगी को मर्क-सोल औषधि देना बेहतर होता है।

फाइटोलैक्का

  • गले के रोग से पीड़ित रोगी के अगर गले की श्लैष्मिक -झिल्ली काले रंग की हो गई हो, टांसिलों का रंग भी काले या हल्के काले रंग का हो गया हो, किसी चीज को निगलने में जीभ के जड़ में दर्द हो तथा साथ ही पीठ व अन्य अंगों में भी दर्द हो तो ऐसे लक्षणों में रोगी को फाइटोलैक्का औषधि की 3 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
  • रोग के ऐसे लक्षण जिसमें रोगी को अपने गले में फंसे कफ को निगलने के लिए लगातार कोशिश करना पड़ता है। रोगी की जीभ सूज जाती है, गर्म पानी पीने से रोग बढ़ जाता है, रोगी को विशेष रूप से दांई तरफ दर्द होता है जो कान तक फैल जाता है। ऐसे में रोगी को फाइटोलैक्का औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
  • यदि रोगी को गले में दर्द होता है, रोगी बेचैन रहता है, कमजोर रहता है, श्लैष्मिक -झिल्ली का कालापन, गले में थक्का बनना आदि लक्षण हों तो रोगी को फाइटोलैक्का औषधि के स्थान पर लैकेसिस औषधि का सेवन करना चाहिए क्योंकि की ऐसे लक्षणों में यह औषधि विशेष लाभकारी होती है।

गले का दर्द – gale ka dard – घरेलू उपचार – gharelu upchar

Tags: , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top