Babool ka kanta : उपचार: 1। यदि काँटा निकल नहीं रहा हो तो गुड़ पिंघला कर उसमें अजवाइन मिलाकर उसकी लुगदी बना कर स्थान पर बाँध दें। काँटा निकल जाएगा।
2। काँटे वाले स्थान पर थोड़ा आँक कर दूध 4-5 बूँद भर दें। काँटा निकल जाएगा।
घोट पीसकर मलहम बना लें। यह औषधि पुराने से पुराने घाव भी ठीक कर देती है। अन्य उपचार:
1। सिन्दूर 10 ग्राम, मुर्दाशंख 10 ग्राम, नीलाथोथा 5 ग्राम, हींग असली ढाई ग्राम, मोम 100 ग्राम, पीली सरसों का तेल 200 ग्राम।
निर्माण विधि: पहले तेल को कढ़ाई में गर्म करें, उसमें सिन्दूर डाले फिर उसी में मुर्दा राख पीसकर थोड़ा-थोड़ा डालते रहें, उसके पश्चात् नीला थोथा पीसकर थोड़ा-थोड़ा डालते जाएँ। उसके बाद हींग डाल दें व मोम पिघलाकर डालें। फिर गरम गरम ही कपड़े या मैंदा छलनी से छान लें। वर्तन पीतल का नहीं होना चाहिए। कैसा भी फोड़ा-फुन्सी हो ठीक हो जाएगा।
2। भृंगराज (घमरा घास) के पत्तों को धोकर महीन पीसकर किसी व्रण (घाव) पर लगाते रहें। इसकी लुग्दी बना बाँधे। पुराना घाव भी ठीक होता है। किसी स्थान पर चोट से खून आता हो तो वह भी बन्द हो जाता है।