परिचयः
आमतौर पर देखने में आता है कि किसी-किसी महिला के केवल कन्या ही उत्पन्न होती है। पुत्र नहीं होता है। इसके बहुत से कारण होते हैं।
चिकित्सा:
जब स्त्री ऋतु से शुद्ध हो, वहीं पहला दिन संभोग का होता है। इस दिन से अन्तर कर अर्थात प्रथम, तीसरे, पांचवे, सातवें, नौवें, ग्यारहवें, तेरहवें दिन संभोग करने से जो संतान होती है वह पुत्री ही होती है और ऋतुस्नान के दूसरे चौथे, छठे, आठवें, दसवें, बारहवें दिन जो संभोग किया जाए तो जो गर्भस्थापित होगा। उससे पुत्र उत्पन्न होता है।