1. निबू की तासीर ठंडी मानी गई है, इसलिये शीत प्रकृति के लोगों को इसका प्रयोग कम मात्रा में ही करना चाहिये.
2. जहां तक संभव हो नीबू का प्रयोग दिन में ही करना चाहिये, शाम को या रात में प्रयोग करने से सर्दी – जुकाम होने की संभावना रहती है.
3. व्यक्ति अगर किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हो तो उसे किसी जानकार आर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही नीबू का सेवन करना चाहिये.
चिकित्सा के में क्षेत्र दुनिया ने काफी तरक्की कर ली है. लेकिन आज भी स्वास्थ्य कि में क्षेत्र प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग को सर्वाधिक भरोसेमंद और अचूक माना जाता है. ऐलोपैथिक दवाइयां रोग के लक्षणों को दबाती और नष्ट करती है, जबकि प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग का लक्ष्य बीमारी को दबाना नहीं बल्कि शरीर को अंदर से मजबूत करके हर बीमारी को जड़ से मिटाना होता होता है.
आयुर्वेद के अंतर्गग नीबू के प्रयोग को बेहद फायदेमंद और गुणकारी माना गया है. नीबू में ऐसे कई दिव्य गुण होते हैं जो पेट संबंधी अधिकांस बीमारियों को दूर करने में बेहद कारगर होता है. खुल कर भूख न लगना, कब्ज रहना, खाया हुआ पचाने में समस्या आना, खट्टी डकारें आना, जी मचलाना, एसिडिटी होना, पेट में जलन होना …. ऐसी ही कई बीमारियों में नीबू का प्रयोग बहुत फयदेमंद और कारगर सिद्ध हुआ है.
सावधानियां (सावधानियां) 1. निबू की तासीर ठंडी मानी गई है, इसलिये शीत प्रकृति के लोगों को इसका प्रयोग कम मात्रा में ही करना चाहिये.
2. जहां तक संभव हो नीबू का प्रयोग दिन में ही करना चाहिये, शाम को या रात में प्रयोग करने से सर्दी – जुकाम होने की संभावना रहती है.
3. व्यक्ति अगर किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हो तो उसे किसी जानकार आर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही नीबू का सेवन करना चाहिये.Top