asaamaany yoni sraav ko kaise niyantrit karen

असामान्य योनि स्राव को कैसे नियंत्रित करें – गुप्त रोग ज्ञान – asaamaany yoni sraav ko kaise niyantrit karen – gupt rog gyan

योनि स्राव एक सामान्य प्रक्रिया है, जो कि मासिक चक्र के अनुसार बदलती रहती है। लेकिन पीले या हरे रंग का स्राव होने पर इसे सामान्य नहीं माना जाता। ऐसा होना बीमारी का लक्षण है। इस तरह का स्राव दर्शता है कि योनि में कहीं तीव्र संक्रमण है। आइये जाने योनि स्राव क्या है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
लड़कियां जब युवावस्था में कदम रखती हैं तो उनके सामने कई प्रकार की समस्याएं आती हैं। इनमें से योनि स्राव की समस्या भी एक है। इस स्थिति में उनके गुप्‍तागों से काफी तरल पदार्थ रिसता है, जिसे लैक्टोबसीलस कहा जात है। ऐसे में कई बार योनि संक्रमण भी हो सकता है।
दरअसल सामान्य योनि स्राव में गर्भाशय से स्वच्छ कफ का रिसाव होता है, जिसकी मात्रा लगातार बढ़ती जाती है। और वह अंडोत्सर्ग के समय अर्थात मासिक के मध्य में, पतला और चिपचिपा हो जाता है। यौन उत्तेजना और भावनात्मक तनाव के दौरान योनि की दीवारों से बहने वाले इस स्वच्छ द्रव्य की मात्रा बढ़ती जाती है व इसकी गंध भी सामान्य रहती है। लेकिन दुर्गंधयुक्त अनियमित योनि स्राव, असामान्य रंग होने पर गुप्तांग क्षेत्र में खुजली होती है या सूखापन आ जाता है। यह संक्रमण का सीधा संकेत होता है।
ग्रीवा से निकलने वाले म्युकस का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन सामान्य न हो अथवा इसकी मात्रा बहुत अधिक हो जाए तो यह समस्या का कारण बन सकता है। निम्न में से कोई भी लक्षण असामान्य योनि स्राव की पुष्टी करता है।
योनि से पीले या हरे रंग का स्राव सामान्य नहीं होता है। यह योनि में किसी तीव्र संक्रमण का इशारा हो सकता है। खासकर जब यह पनीर की तरह और गंदी बदबू से युक्त हो, तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिये।
यह स्राव अक्सर माहवारी के बाद अक्सर देखने को मिलता है। दरअसल यह अंदरूनी “सफाई” की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। पुराने रक्त का रंग भूरा सा हो जाता है और सामान्य प्रक्रिया के तहत श्लेष्मा के साथ बाहर आ जाता है।

योनी स्राव के उपरोक्त में से कोई लक्षण दिखाई देने पर योनी स्राव को सामान्य नही माना जाता और इसे असामान्य योनी स्राव कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे, यौन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण, वे लोग जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है या जिन्हें मधुमेह रोग होता है। उपरोक्त कारण होने पर योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।
योनिक स्राव से बचने के लिए जननेन्द्रिय क्षेत्र को साफ और शुष्क बनाए रखना जरूरी होता है। इस समस्या से बचने के लिए योनि को बहुत भिगोना नहीं चाहिए (जननेन्द्रिय पर पानी मारना)। दरअसल बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि माहवारी या सम्भोग के बाद योनि को पानी से खूब साफ कर वह किसी समस्या से बच सकती हैं। जबकि इससे योनिक स्राव और भी बिगड़ जाता है, क्योंकि उससे योनि पर छाये स्वस्थ बैक्टीरिया मर जाते हैं जो कि उसे संक्रामक रोगों से बचाते हैं। इसके अलावा योनि पर किसी प्रकार के दबाव से बचें। योन सम्बन्धों से होने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। मधुमेह का रोग हो तो रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना चाहिए।

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