धात रोग क्या है?
धातु रोग में लहसुन के फायदे: धात रोग केवल भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला रोग है। इसमें रोगी शरीर से अधिक वीर्य निकल जाने को लेकर चिंतित रहते हैं। लोग इस समस्या में पेशाब के साथ या उत्तेजना के समय निकलने वाले सफ़ेद चिपचिपे पदार्थ, स्वप्न दोष, हस्त मैथुन अथवा सम्भोग के समय वीर्य निकलने को बीमारी मान लेते हैं। परंपरागत चिकित्सा विज्ञान जैसे आयुर्वेद, यूनानी पद्धतियों के अनुसार धात शरीर का बहुमूल्य तत्व माना जाता है और वीर्य संरक्षण जरूरी बताया गया है लेकिन इस जानकारी के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने अनुसन्धान के आधार पर साबित किया है कि धात, प्रोस्टेट ग्रंथि एवं यूरेथ्रल ग्रंथि का स्राव होता है। यह वीर्य का एक भाग भी हो सकता है।
शरीर के अन्य द्रव्यों जैसे लार, आंसू, पसीना आदि की तरह वीर्य भी निरंतर बनने वाला सामान्य पदार्थ है। इसकी मात्रा एक प्रकार से असीमित होती है। वीर्य के शरीर से निकलने पर (चाहे सम्भोग, हस्तमैथुन, स्वप्न दोष या पेशाब के साथ हो) कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता हैं। पेशाब के साथ धात निकलना कोई बीमारी नहीं है। इसके निकलने से किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक रोग नहीं होता है।
धात रोग के क्या कारण है?
- किसी भी कारण से लगातार चिंतित रहने पर कई मानसिक या शारीरिक लक्षण पैदा हो सकते हैं जैसे कि काम में ध्यान न लगना, याददाश्त कम लगना, पाचन क्रिया गड़बड़ रहना, वजन कम होना, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना। वीर्य के निकल जाने से इन लक्षणों का कोई सम्बन्ध नहीं हैं।
- सामान्य यौन जानकारी के बारे में गलत मान्यताओं और धारणाओं पर विश्वास । कई बार यह विचार विभिन्न लोगों द्वारा फैलाये गए दुष्प्रचार की वजह से शुरू होते है। अथवा जानकारी के अभाव में परिवार के सदस्य या मित्र गलत धारणाओं को बढ़ावा दे देते हैं।
- शरीर से धात निकल जाने की चिंता जनक सोच का मन में बनाये रखना।
- खान-पान एवं दिनचर्या की आदत का ख़राब होना, लगातार कब्ज़ रहना आदि से धात के लक्षण ज्यादा महसूस हो सकते हैं।
धात रोग के सामान्य लक्षण क्या है?
- उदासी, कमजोरी, घबराहट, अनिद्रा, कम याददाश्त महसूस होना और वीर्य निकलने का अपराध बोध ।
- स्वप्नदोष, हस्तमैथुन के द्वारा शरीर कमजोर होने का डर।
- कुछ रोगियों को उनके मूत्र में एक सफेद पदार्थ के निकलने को वीर्य समझना अथवा यौन उत्तेजना के समय वीर्य निकलने से पहले निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ (प्रीकम) को वीर्य समझना।
- निरन्तर मानसिक तनाव के वजह से कई मरीज़ों में अन्य यौन रोग जैसे उत्तेजना की कमी या शीघ्रपतन अथवा मानसिक रोग जैसे उलझन अथवा उदासी हो सहते है।
ज्ञान और दृष्टिकोण
धात दोष के संयोजन के बारे में बहुत से रोगी यह विश्वास करते है कि धात वीर्य के साथ साथ पस और शुगर से बना होता है। जो कि पूर्णतया गलत है। धात दोष के बारे में जानकारी अधिकांशतः दोस्तों, सहयोगियों, रिश्तेदारों या प्रचार के विभिन्न अविश्वसनीय स्रोतों से मिलती है। बहुत सारे प्रचार करने वाले लोग सहीं जानकारी नहीं देते और नवयुवकों में व्याप्त डर की वजह से होने वाली परेशानियों को अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए इस्तेमाल करते है।
धात रोग के लिए क्या क्या उपचार उपलब्ध है?
- इलाज़ का मुख्य उद्देश्य सही यौन शिक्षा उपलब्ध कराना है। इलाज़ के लिए पहुँचने वाले कई लोग लम्बे समय से दूर परेशानियों से जूझ रहे होते है। अतः विस्तार पूर्वक दी गयी सही जानकारी उपयोगी सिद्ध होती है।
- यौन उत्तेजना आने पर अथवा सेक्स सम्बन्धी विचार मन में आने पर लिंग से चिपचिपा पदार्थ निकलता है जिसे प्रीकम कहते है। यह सामान्य और आवश्यक प्रक्रिया है और किसी रोग का लक्षण नहीं है।
- पेशाब में निकलने वाले सफ़ेद पदार्थ कुछ रासायनिक तत्वों जैसे फास्फेट अथवा ऑक्सलेट से बने होते हैं। पेशाब के पहले, बाद में, पेशाब के साथ इसका मिलकर आना कोई बीमारी नहीं दर्शाता है और यह शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता हैं।
- स्वप्न दोष, हस्त मैथुन अथवा अधिक यौन संबंधों से वीर्य निकल जाने से कोई शारीरिक कमजोरी पैदा नहीं होती है। शरीर के अन्य द्रव्यों की तरह वीर्य भी निरंतर बनने वाला सामान्य पदार्थ है। इसकी मात्रा एक प्रकार से असीमित होती है। शरीर में इसके निकास से (चाहे सम्भोग, हस्तमैथुन, या स्वप्न दोष हो) कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता हैं।
- वीर्य का पतलापन अथवा गाढ़ापन और इसका रंग कई शारीरिक प्रक्रियायों पर निर्भर करता है। वीर्य पतला होने से प्रजनन क्षमता या सेक्स के आनंद पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। वीर्य का पतलापन या रंग बदलना किसी रोग के लक्षण नहीं हैं।
- नियमित दिनचर्या एवं सेहत भरा खान पान, शारीरिक व्यायाम एवं तनाव मुक्ति के लिए रिलैक्सेशन के तरीको का पालन इलाज़ में सहायक हैं।
- दुष्प्रचार पर ध्यान न दें। इनमे अक्सर शरीर के सामान्य स्थितियों को बीमारी का लक्षण बनाकर प्रस्तुत किया जाता है और सही जानकारी के अभाव में नवयुवक इनकों सच मान लेते हैं।
धातु रोग में लहसुन के फायदे
लहसुन का सेवन यौन इच्छा को उत्तेजित करता है। सही रक्त परिसंचरण से जननांगों सहित शरीर के सभी हिस्सों में पर्याप्त रक्त की आपूर्ति होती है, जो प्रजनन अंगों के स्वास्थ्य को भी बढ़ाता है। ऐसी स्थिति में, पुरुषों को अपने यौन स्वास्थ्य और यौन जीवन को बेहतर बनाने के लिए लहसुन का उपयोग करना चाहिए।
लहसुन में एफ्रोडिसिएक (Aphrodisiac) पाया जाता है, जो यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। वहीं, लहसुन में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी रक्त संचार को बढ़ाने का काम करते हैं। रोज सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली खाएं। आप चाहें तो इसे घी में तल कर भी खा सकते हैं।
FAQ : मिथक और तथ्य
वीर्य की हानि से शरीर मैं कोई नुक़सान नहीं होता हैं और यह ज़रूरत के मुताबिक फिर बन जाता हैं।
ये पूर्णतया ग़लत है, ऐसा नहीं होता है क्योंकि वीर्य के बनने में रक्त नहीं नष्ट होता हैं।
यह विश्वास चिकित्सा विज्ञान पर आधारित नहीं हैं।
ये पूर्णतया ग़लत है, ऐसा नहीं होता हैं। कमजोरी का अनुभव उन्हीं व्यक्तियों को होता है जो वीर्य हास के सम्बन्ध में चिंतित रहते हैं और ये कमजोरी इसी चिंता के कारण अनुभव होती हैं।
हस्त मैथुन से लिंग की संरचना पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता हैं। लिंग में हल्का टेढ़ापन या नसों का दिखना सामान्य हैं।
इन बातों के पीछे कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं हैं। कई बार लोग, वीर्य निकलने के बाद शरीर में होने वाले रिललैक्सेशन को कमजोरी समझ लेते हैं चिंता और अपराध बोध के कारण ये लक्षण शारीरिक कमजोरी के रूप में प्रकट होते हैं।
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