kuchh yoon hota hai s‍parm donar kee madad se garbhadhaaran

कुछ यूं होता है स्‍पर्म डोनर की मदद से गर्भधारण – गुप्त रोग ज्ञान – kuchh yoon hota hai s‍parm donar kee madad se garbhadhaaran – gupt rog gyan

आज-कल स्‍पर्म डोनर के जरिए इंफटिर्लिटी से जूझ रहे दंपत्तियों के लिए बच्‍चा पैदा करना बड़ी समस्‍या नही रह गया है। स्‍पर्म डोनर की मदद से महिलाएं आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं। इस तकनीकि से किसी भी आदमी के स्‍पर्म से महिलाएं बड़ी आसानी से प्रेग्‍नेंट हो सकती हैं। आइये जानें स्‍पर्म डोनर की मदद से कैसे होता है गर्भधारण।
र्स्‍पम डोनेशन एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए आदमी अपने शुक्राणुओं को उन दम्पति को देता है जो किसी कारण से बच्‍चा नहीं पैदा कर पाते हैं। एक हेल्‍दी र्स्‍पम, डॉक्‍टरों द्वारा उन महिलाओं को गर्भवती बनाने में मददगार साबित होता है जो मां बनने की आस खो चुकी हैं। लेकिन स्‍पर्म और स्‍पर्म डोनर का चुनाव करने से पहले कई जरूरी पहलुओं पर गौर किया जाता है। इसलिए स्‍पर्म डोनेशन के जरिए गर्भधारण करने से पहले डोनर के बारे में जानकारी लेना अच्छा होता है। हालांकि डोनर रिकार्ड में र्स्‍पम देने वाले व्‍यक्ति का नाम नहीं होता लेकिन उसकी मेडिकल हिस्‍ट्री से आप उसके बारे में जान सकते हैं। इसके लिए डॉक्‍टर की सलाह अवश्‍य लीजिए। आइए हम आपको बताते हैं किस तरह से स्‍पर्म डोनर के जरिए गर्भधारण किया जा सकता है।

सबसे पहले फ्रोजन स्‍पर्म हासिल किए जाते हैं। इसके लिए आप किसी स्‍पर्म बैंक से संपर्क कर सकते हैं। आपका कोई पुरुष मित्र भी इसमें सहयोग कर सकता है। आपका डॉक्‍टर इसे वीर्यारोपण के लिए फ्रोजन कर देगा। अगर आपको स्‍पर्म बैंक के बारे में जानकारी न हो तो आप अपने डॉक्‍टर से इस बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
स्‍पर्म डोनर से स्‍पर्म मिलने के बाद इसका परीक्षण अच्‍छे से करवा लीजिए। इसके लिए उसकी गतिशीलता, उसका आकार और उसमें शुक्राणुओं की संख्‍या आदि की जांच की जाती है। अगर शुक्राणु इन सब मापदंडों पर खरा नहीं उतरता तो उसके जरिए निषेचन की संभावना कम होती है।
सफल गर्भाधान के लिए मासिक धर्म चक्र का पालन किया जाता है। इसके लिए शरीर का बेसल टेम्‍परेचर (शरीर का तापमान पीरियड्स के दौरान ज्‍यादा होता है) ध्‍यान में रखना जरूरी है। जिस दिन आप अस्‍पताल जायेंगे उस दिन सुबह कोई काम न करें।
पीरियड्स के दौरा कुछ सामान्‍य जांच अवश्‍य करा लें। सामान्‍य जांच जैसे – खून की जांच, शुगर की जांच, एनीमिया की जांच आदि करायें। इसके अलावा अल्‍ट्रासाउंड के जरिए डिंब के परिपक्वता की भी जांच कर लें नही तो निषेचन में दिक्‍कत होती है।
इसके बाद इस तकनीक के जरिए पुरुष के स्पर्म और महिला के अंडे को बाहर लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। निषेचन के बाद सिर्फ एक स्पर्म को नली के जरिए अंडे के बीचोबीच महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है और महिला गर्भवती हो जाती है।

किसी भी र्स्‍पम डोनेशन सेंटर में जाने से पहले सबसे पहले अपनी गाइनीकोलॉजिस्‍ट से परामर्श कर लें। जब तक आपका डॉक्‍टर उस डोनर की सही तरह से जांच न कर ले तब तक आप स्‍पर्म न लें। अगर स्‍पर्म डोनर किसी बीमारी से ग्रस्‍त है तो बाद यह समस्‍या शिशु को भी हो सकती है इसलिए इसकी जानकारी पहले कर लें।
कभी भी अखबार या होर्डिंग पर दिये गए र्स्‍पम बैंक के प्रचार को देख कर वहां जाने का तुरंत फैसला ना करें। रजिस्‍टर्ड और प्रोफेशनल बैंक र्स्‍पम बैंक ही अच्‍छी क्‍वालिटी के स्‍पर्म दे सकते हैं। साथ ही इस बात को भी सुनिश्चित कर लीजिए कि फर्टिलाइजेशन हमेशा एक्‍सपर्ट द्वारा ही हो।
जब भी आप र्स्‍पम डोनर के लिये जाएं तो डोनर का रिकार्ड चेक करना कभी ना भूले। हर स्‍पर्म बैंक के पास डोनर की फुल डीटेल होती है। इसके अलावा वे लोग डोनर के शरीर की पूरी तरह से जांच करते हैं कि कहीं वह किसी बीमारी या फिर यौन संबधी बीमारी से तो नहीं पीडि़त है। यहां तक की इस रिकार्ड में डोनर के मां-पिता के खानदान का भी ब्‍यौरा होता है।
प्रेगनेंसी के लिये ब्‍लड ग्रुप का भी बहुत बड़ा रोल होता है। यह आरएच फैक्‍टर हमारे खून में होता है जो कि एंटीजन यानी कि एक प्रकार का प्रोटीन होता है। जब एक निगेटिव ब्‍लड ग्रुप इस आरएच फैक्‍टर के संपर्क में आता है तो उसकी इम्‍यूनिटी सिस्‍टम एंटीबॉडी पैदा करने लगती है जो कि उसके खिलाफ लड़ने लगती है। इससे मिसकैरेज हो जाता है इसलिये र्स्‍पम डोनर के ब्‍लड ग्रुप पर अधिक ध्‍यान दें।

स्‍पर्म डोनर के जरिए प्रेग्‍नेंट होने में कोई दिक्‍कत नही है और इसका फायदा कई दंपत्तियों ने उठाया है। लेकिन स्‍पर्म डोनर के जरिए प्रेग्‍नेंट होने से पहले जरूरी जानकारी इकट्ठा कर लें।

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