menopoj ke dauran mahilaon ke liye jaruri vitamin

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के लिए जरूरी विटामिन – गुप्त रोग ज्ञान – menopoj ke dauran mahilaon ke liye jaruri vitamin – gupt rog gyan

हर महिला के जीवन में यह दौर आता है जब उसके पीरियड्स बंद हो जाते हैं। यह 45-50 वर्ष की उम्र में होता है। इस अवस्था को मेनोपॉज कहते हैं। जानकारी के अभाव में कई महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जरूरी विटामिन की मदद से इन समस्याओं से बचा जा सकता है।

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में दिखने वाले लक्षणों को दूर करने में विटामिन और मिनरल्स का अहम रोल होता है। मेनोपॉज में होने वाली हॉट फ्लेशज की समस्या से निजात पाने के लिए कुछ खास तरह के विटामिन जैसे विटामिन ए, सी, मैग्नीशियाम आदि का सेवन करना चाहिए। जो महिलाएं मेनोपॉज के दौर से गुजरती है अगर वे अपने खानपान पर खास खयाल ना रखे तो उन्हें हृदय रोग और ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या होने की भी आशंका होती है। जब शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिलता है तो इसका असर शरीर के हर हिस्से पर होता है। मेनोपॉज में होने वाली समस्याओं से बचने के लिए महिलाएं को कुछ जरूरी विटामिन का सेवन करना चाहिए। आइए जानें कौन से हैं वे खास विटामिन।
यह विटामिन ना सिर्फ आंखों और त्वचा के लिए जरूरी होता है बल्कि यह यूरीन से संबंधित समस्याओं और वैजाइनल इंफेक्शन को भी कम करता है जो एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन को घटाता है। इसलिए महिलाओं को अपने आहार में विटामिन ए के स्रोत जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, मांस, दूध, पनीर, क्रीम व मछली आदि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हरी सब्जियों में पालक, गाजर, कद्दू, ब्रोकली आदि इसके अच्छे स्रोत हैं। 
विटामिन सी को यूं तो संक्रमण से बचाव के लिए जाना जाता है। एंटीऑक्सीडेंट होने के नाते यह हॉट फ्लेशज की समस्या को कम करता है। इसके अलावा कोलेजन के निर्माण को बढ़ता है जो अक्सर मेनोपॉज के दौरान कम हो जाता है। विटामिन सी के लिए आंवला, नींबू, संतरा और मौसमी आदि का सेवन करना अच्छा रहता है।

मैग्नीशियम
मेनोपॉज के दौरान ज्यादातर महिलाओं को थकान का अनुभव होता है। ऐसे में उन्हें मैग्नीशियम युक्त आहार का सेवन करना चाहिए इससे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है जिससे महिलाओं को जल्द थकान का अनुभव नहीं होता है। इसके अलावा यह हड्डियों के लिए भी फायदेमंद होता है। अक्सर मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
मेनोपॉज तीन स्टेज में होता है। प्रीमेनोपॉज, पीरियड्स बंद होने से पहले के एक से दो वर्ष का समय इस स्टेज का हिस्सा है। मेनोपॉज, एक साल तक अगर पीरियड्स लगातार बंद रहे तो इस स्थिति को मेनोपॉज कहा जाता है और मेनोपॉज के बाद के दौर को पोस्ट मेनोपॉज कहा जाता है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं शरीर में जलन का महसूस होना, नींद न आना, दिल का तेजी से धड़कना, कभी बहुत खुश तो कभी अचानक से गुस्सा हो जाना, जरा-सी बात पर घबरा जाना, हर समय परेशान रहना तथा छोटी- छोटी बातों पर झुंझलाहट होना, स्मरण शक्ति कमजोर होना आदि का अनुभव होता है। इनके अलावा मेनोपॉज के दौरान कई शारीरिक समस्या भी घेर लेती हैं। इन समस्याओं में चेहरे पर झुर्रियों का आना, बालों का रंग सफेद होना और झड़ना, वजन बढ़ना और थकान होना आदि प्रमुख हैं। मेनोपॉज का सबसे ज्यादा असर हड्डियों पर पड़ता है। एस्ट्रोजन हारमोन के कम होने के कारण बोन मास कम हो जाता है, जिसकी वजह से घुटने में दर्द व जोड़ों की बीमारी होना आम बात है। कैल्शियम की ज्यादा कमी की वजह से रीढ़ की हड्डी कमजोर होने लगती है और मरीज आगे की तरफ झुकना शुरू कर देते हैं। मेनोपॉज के कारण नर्वस सिस्टम और दिल पर भी असर पड़ता है।

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