रक्त प्रदर स्त्रियों का एक भयंकर रोग है| इस रोग में महिलाओं की योनि से रक्त मिला रज निकलने लगता है, जिसमें चिपचिपाहट और तीव्र दुर्गंध होती है| रोग बढ़ने पर इसका रंग अधिक लाल तथा काला भी हो जाता है| इसमें मासिक धर्म समय से पूर्व, अधिक मात्रा में और कभी-कभी महीनों तक लगातार आता रहता है|
कारण
रक्त प्रदर होने के अनेक कारण हैं, जैसे – पति के साथ रोज दो-तीन बार सम्भोग करना, लाल मिर्च, तेज, खट्टे-चरपरे पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन, अंडा, मांस, मदिरा का अधिक प्रयोग, बार-बार गर्भस्त्राव या गर्भपात, मानसिक आघात, चिन्ता, शोक, भार उठाना तथा गर्भाशय पर चोट आदि|
पहचान
इसमें रज बार-बार निकलता है जिसमें खून की मात्रा भी होती है| कभी-कभी थक्केदार खून निकलता है| इस हालत में स्त्री की कमर में दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द, हाथ-पैरों में दाह, जलन, बेचैनी, दुर्बलता आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं| स्त्री दिन-प्रतिदिन दुर्बल होती जाती है|
नुस्खे
- 6 ग्राम चन्दन का चूर्ण गुलाब के अर्क में मिलाकर सेवन करें|
- 2 ग्राम चूहे की मंगनी में थोड़ी-सी चीनी मिलाकर दिन में दो बार चार-पांच दिनों तक सेन करें|
- हरी दूब को धोकर पीस लें| उसमें से दो चम्मच रस निकालकर शहद के साथ सेवन करें|
- पेट पर गीली मिट्टी का लेप 10 मिनट तक लगाएं|
- 2 ग्राम राई पीसकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें|
- पुराना टाट या बोरी जलाकर भस्म बना लें| इसे प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ खिलाएं| रक्त प्रदर के लिए यह बड़ा कारगर नुस्खा है|
- बबूल का गोंद घी में तलकर पीस लें| फिर उसमें समान मात्रा में असली सोना गेरू पीसकर मिलाएं| उसमें से 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सुबह के समय फांककर थोड़ा-सा दूध पी लें|
- सिंघाड़े का हलवा 15 दिनों तक 100 ग्राम की मात्रा में रोज खाएं| इससे रक्त प्रदर ठीक हो जाता है|
- बरगद के दूध की 5-5 बूंदें बताशे में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से रक्त प्रदर जल्दी ठीक हो जाता है|
- मूली का रस 50 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय उपयोग करें|
- 5 ग्राम सोंठ के साथ 25 ग्राम खूनखराबा पीस लें| इसमें से 2 ग्राम दवा घी में मिलाकर सेवन करें|
- जामुन का रस दो चम्मच तथा चावल का धोवन एक कप – दोनों को मिलाकर पीने से रक्त प्रदर में काफी लाभ होता है|
- केले के पत्तों को पीस लें| फिर इसकी खीर बनाकर कुछ दिनों तक सेवन करें|
विशेष
उपर्युक्त नुस्खों का प्रयोग करते समय घी, तेल, मिठाई तथा मिर्च-मसालेदार चीजें न खाएं| केवल सात्विक वस्तुओं – गेहूं व जौ की रोटी, मूंग की दाल, तरोई, लौकी, पालक, टमाटर, आलू आदि का सेवन करें| बहुत ठंडे फल न खाएं| पेट में गरमी पैदा करने वाली चीजों का भी सेवन न करें|