पंडितजी का गांधी नगर दिल्ली की एक मशहूर कपड़ों के थोक की दुकान पर वास्तु परीक्षण करने के लिए जाना हुआ। वहां जाने पर उन्होंने बताया कि उनकी दुकान पूरे गांधी नगर की सबसे प्रसिद्ध दुकान है, पर जितनी कमाई होनी चाहिए उतनी होती नहीं है।
पैसा रुक जाता है जिसकी वजह से तनाव बना रहता है। काम बढ़ाने की योजना बनाने के समय कोई न कोई अड़चन आ जाती है। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष – दुकान का उत्तर-पश्चिम कोना कटा हुआ था जो कि लड़ाई झगड़ों का तथा योजना का समय पर कार्यान्वित न होने का कारण होता है। – उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां बनी थीं जो कि व्यापार में दिनों-दिन गिरावट/ धन हानि का कारण होती है तथा मानसिक तनाव बना रहता है।
– सीढ़ियों के नीचे शौचालय भी बना था जो कि गंभीर वास्तु दोष है तथा सभी ओर से विकास में अवरोधक होता है। सुझाव – दुकान का उत्तर-पश्चिम का हिस्सा उनके भाई का था जिसे दरवाजा बनाकर जोड़ा जा सकता था। चाहे दरवाजे पर दोनों ओर से ताला लगाकर बंद रखें पर दरवाजा बनाने से कटने का दोष खत्म हो जाता है। – उत्तर पूर्व की सीढ़ियों को हटाकर पीछे की ओर दक्षिण में बनाने की सलाह दी गई।
– शौचालय को दक्षिण-पूर्व के कोने में ले जाने का कहा गया। कुछ और सुझाव – वे लिफ्ट बनाना चाहते थे जो कि पश्चिम, पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व में बनाने को कहा गया। – उत्तर में बोरिंग करने को कहा गया जिससे आर्थिक उन्नति हो सके और कभी पैसा बाजार में ब्लाक न हो। – उत्तर, उत्तर पूर्व व पूर्व में हल्का सामान व शीशे लगाने की सलाह दी गई। – पीने के पानी का डिस्पेंशर पूर्व में रखने को कहा गया।
सीढ़ियों का बंद होना- विकास में अवरोधक – seedhiyon ka band hona- vikaas mein avarodhak – वास्तुशास्त्र में वर्जित – vastu shastra mein varjit