grahon kee jaanakaaree

ग्रहों की जानकारी – वास्तुशास्त्र – grahon kee jaanakaaree – vastu shastra

1.सूर्य-जन्म के समय सूर्य की स्थिति से जातक की देह, पिता, पराक्रम, धन, प्रसिध्दि व आसक्ति का विचार किया जाता है। यह पित्त प्रधान है।

2. चंद्र – यह वात व कफ प्रधान है। इसकी स्थिति से बुध्दि, मानसिक अवस्था, व्यावहारिक ज्ञान, माता, राय सुख व संचार सुख का विचार किया जाता है।

3. मंगल – यह पित्त प्रधान ग्रह है। इसके द्वारा साहस, आत्मबल, रोग, छोटे बहिन-भाई, भूमि, शत्रु, रक्त विकार का विचार किया जाता है।

4. बुध -यह वात पित्त कफ प्रधान है। इससे विद्या, विवेक, व्यवहार बुध्दि, मामा, वाकपटुता, मित्र, वाणिय, गणित आदि का विचार किया जाता है।

5. बृहस्पति -यह कफ प्रधान ग्रह है। इससे शरीर यष्टि, सुख, पुत्र, विद्या, ज्ञान, धन व धार्मिकता का विचार किया जाता है।

6. शुक्र-यह वात व कफ प्रधान ग्रह है। वस्त्राभूषण, वाहन सुख, काम सुख, व्यापार, कला का विचार इससे किया जाता है।

7. शनि-यह वातप्रधान ग्रह है। इसकी? स्थिति से जातक की आयु, जीविका, नौकरों से सुख, मृत्यु का कारण, रायदंड, कारावास आदि का विचार किया जाता है।

राहु-केतु को प्राय: छाया ग्रह माना जाता है। राहु के द्वारा राजनीति, स्वार्थ-कूटनीति व पितामह का विचार किया जाता है।

केतु के द्वारा मातामह, आध्यात्म, मोक्ष, विरक्ति, सांसारिक रुचि का विचार किया जाता है।

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