शेषनाग काल सर्प योग
● योग: यदि किसी की कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु के अंतर्गत सभी ग्रह विद्यमान हों तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो शेषनाग काल सर्प योग होता है.
● प्रभाव: ऐसे लोगों के खिलाफ लोग तंत्र-मंत्र का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं. इन्हें मानसिक रोग लगने की आशंका ज्यादा रहती है. यदि राहु के साथ मंगल है तो इनके सारे शत्रु परस्त हो जाते हैं. यानी इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है. विदेश यात्रा से लाभ मिलते हैं, लेकिन साझेदारी के व्यापार में हानि उठानी पड़ती है.
● उपाय: हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल वस्त्रा सहित सिंदूर, चमेली का तेल व बताशा चढ़ाएं.
2- किसी शुभ मुहूर्त में मसूर की दाल तीन बार गरीबों को दान करें.