वासुकि कालसर्प योग
● योग: यदि जातक के जन्मांग में राहु तृतीय और केतु भाग्य भाव यानि 9वें भाव में हो तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो वासुकि काल सर्प योग होता है.
● प्रभाव: ऐसे लोगों को भाईयों से कभी सहयोग नहीं मिलता. ऐसे लोगों का स्वभाव चिड़चिड़ा होता है. ये लोग कितना भी कष्ट क्यों न आ जाये, किसी से कहते नहीं.
● उपाय: वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात्रि को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें. – नागपंचमी के दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें.